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 -नये उद्योगों का स्वागत है पर पुरानों की समस्याएं भी हल

लेखक : SHEKHAR KAPOOR


 

 
 -नये उद्योगों का स्वागत है पर पुरानों की समस्याएं भी हल हों


ग्वालियर में 28 अगस्त को आयोजित रीजनल इंडस्ट्री कॉन्लेव में 120 औद्योगिक इकाइयों को 268 एकड़ भूमि आवंटित कर आशय-पत्र जारी किये गये। इसमें 1680 करोड़ से अधिक का पूँजी निवेश होगा एवं 6600 लोगों को रोजगार मिलेगा। मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव और उनकी सरकार का यह कदम आने वाले समय में मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो यह हम कामना करते हैं। जब से डा.यादव ने मुख्यमंत्री का पद संभाला है उसके बाद से लगातार वह उद्योगों और व्यवसायों को मध्यप्रदेश में आमंत्रित करने का अभियान राष्ट्रीय स्तर पर छेड़े हुए हैं। कहावत है कि जमीन में बीज का रौपड़ करने के बाद उसे पौधे का रूप लेने और उसके बाद पेड़ तथा अंत में वृक्ष बनने में समय लगता है। इस सत्य कहावत के आधार पर हम कह सकते हैं कि वर्तमान में जिन उद्योगों की नींव डाली गई है वो आने वाले समय में मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही मध्यप्रदेश की स्वर्णिम गाथा लिखकर अन्य राज्यों को भी प्रेरित करने का काम करेगी। लेकिन इसके साथ ही हम मुख्यमंत्री से यह भी आग्रह करेंगे कि जो उद्योग और व्यवसाय वर्तमान में स्थापित हैं और जिनके कारण मध्यप्रदेश की वर्तमान छवि एवं जिनसे राजस्व की प्राप्ति राज्य एवं केंद्र सरकार को हो रही है तथा लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है उस दिशा में मौजूद कमियों और समस्याओं का निदान करना जरूरी है। कहीं ऐसा ना हो कि हम आगे की तरफ चलते हुए सड़क का निर्माण तो करते जा रहे हैं लेकिन जो सड़क पीछे की ओर छूट रही है वो गड्ढों का परिचायक ना बन जाए।

मध्यप्रदेश में इस वक्त पीथमपुरा से लेकर गोविंदपुरा और मंडीदीप जैसे कई बड़े औद्योगिक इलाके हैं। इन इलाकों में लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है लेकिन इन उद्योगों के उद्योगपतियों तथा व्यवसायियों की कई समस्याएं लम्बे समय से लंबित चली आ रही हैं या फिर उन समस्याओं का आंशिक समाधान ही किया जाता है। इसी प्रकार सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को पिछले पांच सालों के दौरान जिस तेजी पर स्थापित करने की दिशा में कदम उठाए गए थे उस एमएसएमई सेक्टर की अनेनकानेक समस्यायें सामने आ रही हैं।

हम मध्यप्रदेश सरकार को नये उद्योगों के आमंत्रण एवं उन्हें आश्य पत्र जारी करने का स्वागत करते हुए पुनः कहना चाहेंगे कि भविष्य की दिशा में निश्चित रूप से आगे बढ़ना है लेकिन इसके साथ ही जो वर्तमान कारोबारी हमारे मध्यप्रदेश में मौजूद हैं उनकी समस्याओं का समाधान भी करना होगा। कहीं ऐसा ना हो कि बड़े उद्योगपतियों को आमंत्रण देते वक्त हम इन वर्तमान उद्योगपतियों एवं कारोबारियों की समस्याओं को नजरअंदाज कर दें या उनकी समस्याओं का समाधान ही ना करें। जो भी समझौते ग्वालियर में किए गए हैं उनमें बड़े औद्योगिक घराने हैं। हमारा सुझाव यह भी है कि छोटे और मझौले और विशेषकर एमएसएमई सेक्टर को इन बड़े उद्योगों से एनसीलरी सपोर्ट ग्रुप के रूप में जोड़ दिया जाए तो इस सेक्टर को जान मिल जाएगी तो वहीं जो औद्योगिक क्षेत्र पहले ही से वहां की वर्तमान समस्याओं का निराकरण भी त्वरित गति से किया जाए और उन्हें भी वटवृक्ष बनाने की दिशा में काम हो। अगर इस दिशा में भी कदम उठाए जाते हैं तो मध्यप्रदेश जो कि ’हरा भरा प्रदेश’ कहा जाता है ’समृद्ध प्रदेश’ भविष्य में होगा और इसका श्रेय वर्तमान मोहन सरकार को ही जाएगा।(updated on 29th august 24)
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