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 -मानवीय सरकारी मदद जरूरी पर जिम्मेदारों से ही हो वसूली

लेखक : SHEKHAR KAPOOR


 

 
 जब भी कोई बड़ी या छोटी दुर्घटना होती है तो प्रदेश सरकार अथवा केंद्र सरकार मानवीय आधार पर प्रभावित लोगों अथवा उनके परिवारों को तात्कालिक तौर पर आर्थिक मदद देने की घोषणा करती है। ऐसा करना हर राज्य सरकार का कर्तव्य भी है। उदाहरण के तौर पर जब बाढ़ या भूकंप अथवा प्राकृतिक स्तर पर कोई तबाही होती है तो राज्य अथवा केंद्र सरकार उनकी मदद के लिए सबसे आगे होती है। लेकिन तथ्य यह हैं कि जानबूझकर की गई दुर्घटनाओं के मामलों में केंद्र या राज्य सरकार का मदद देना परोक्ष रूप से जिम्मेदारी नहीं होती है बल्कि वह जिम्मेदारी तो उन लोगों की निश्चित होनी चाहिये जो कि दुर्घटना अथवा आपदा के लिए जिम्मेदार थे। अगर ऐसे व्यक्तियों या सरकारी कर्मियों की लापरवाही, अकर्मण्यता, भ्रष्टाचार, अनदेखी और अपने दायित्व ना निभा पाने जैसे कारणों के कारण दुर्घटनाएं होती हैं तो आर्थिक मदद की जिम्मेदारी क्यों ना इन जिम्मेदारों के लिए आवश्यक की जाए।

हम यहां पर उदाहरण दे रहे हैं दमोह-कटनी अंतरराज्यीय मार्ग पर तीन दिन पहले हुई सड़क दुर्घटना में नौ लोगों की मौत पर। इस दुर्घटना में शराब पिये ट्रक चालक ने एक टैम्पों को रौंद डाला। इस दुर्घटना के जिम्मेदारों में सबसे पहले ट्रक चालक जिम्मेदार था। चूंकि ट्रक चालक एक कंपनी का कर्मचारी होता है। ट्रक चालक जिस कंपनी का ट्रक चलाता है वह कंपनी पूरी छानबीन कर ही उसे लाखों रूपये के ट्रक को चलाने की अनुमति देती है तथा सम्बंधित ट्रक का पूर्ण इंश्योरेंस होता है। इस इंश्योरेंस के आधार पर दुर्घटना होने पर सम्बंधित बीमा कंपनी की जिम्मेदारी होती है कि वह प्रभावित पक्षों को मुआवजा या बीमा राशि प्रदान करे। लेकिन इस दुर्घटना में बीमा कंपनी ट्रक संचालकनकर्ता कंपनी एवं चालक को शायद ही मुआवजा अर्थात बीमा देगी क्योंकि ट्रक चालक ने शराब के नशे में दुर्घटना की। अर्थात अब यह जिम्मेदारी सम्बंधित ट्रक संचालनकर्ता कंपनी की है कि वह मृतकों के परिजनों एवं घायलों को मजबूत आर्थिक सहायता प्रदान करे। अब दूसरी जिम्मेदारी आटो संचालकनकर्ता की है। इस आटो संचालक ने निश्चित तीन से चार सवारियों से कहीं अधिक 10 सवारियां अपने आटो में कैसे बिठा लीं...? इसी प्रकार आटो चालक सहित 9 सवारियां मारी गईं तो आटो चालक कोई मुआवजा क्या दे पाएगा क्योंकि उसकी तो मौत हो चुकी है। अंत में जो सबसे बड़ी जिम्मेदारी आती है उसके खलनायक हैं इस राजमार्ग पर तैनात पुलिस जांच चौकियां एवं आरटीओ विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी। जब इस मार्ग पर यह ट्रक एवं आटो गुजर रहा होगा तो इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि इन दोनों वाहन चालकों का सामना इन चौकियों एवं उन पर तैनात कर्मियों या कर्मचारियों से ना हुआ हो...? अर्थात यहां पर अनदेखी,अकर्मण्याता और भ्रष्टाचार को ही इन मौतों का जिम्मेदार माना जाना चाहिये।

हम मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव सरकार की तात्कालिक मानवीय सहायता देने की घोषणा का स्वागत करते हैं। लेकिन हम कहना चाहते हैं कि तकनीकी आधार पर इस तरह की सहायता देना नहीं बनता है बल्कि यह जिम्मेदारी सर्वप्रथम ट्रक के मालिक की है। इसके बाद नियमों का पालन न करवाने वाले कर्मचारियों एवं अधिकारियों की जो कि चंद रूपये के लालच में मौत के सौदागर बन गए। मानवीय आधार एवं तात्कालिक स्तर पर सरकार अवश्य मदद करे लेकिन ट्रक कंपनी के मालिक एवं इन सरकारी कर्मियों के वेतन एवं जमानिधि से ही मुआवजा राशि बाद में समायोजित की जाए। संभवतः तभी दुर्घटनाओं को रोकने की दिशा में सरकार को मदद मिल पाएगी।
(UPDATED ON 26TH SEPT 24)