’’बिना दिल्ली’’ हिंदुस्तान की ’’सत्ता अधूरी’’- अंतिम दिन
|
|
|
’’बिना दिल्ली’’ हिंदुस्तान की ’’सत्ता अधूरी’’- अंतिम दिन मोदी,शाह और राजनाथ सहित हस्तियों ने लगाया जोर
फिल्मों और आम जनजीवन में एक उदाहरण अक्सर दिया जाता है और वह है ’’ महल के सामने झुग्गी या झौपड़ बस्ती बसा कर महल वालों को परेशान करना’’। दूसरा, एक और उदाहरण है ’’आंगन में बैठकर दाल मंूगना’’। जी हॉ! यह कहावत और सच्चाई इस वक्त भारतीय जनता पार्टी और विशेषकर नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए हो रही है। हिंदुस्तान की सत्ता को तो उन्होंने लोकतंत्र के माध्यम से प्राप्त कर लिया लेकिन उसी हिंदुस्तान की राजधानी दिल्ली की विधानसभा में भाजपा का सत्ता में ना रहना भाजपा की कमजोर बन रही है। केंद्र सरकार चाहती है कि दिल्ली का विकास हो लेकिन दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार अपने हिसाब से दिल्ली का विकास चाहती है। परिणाम यह निकला है कि दिल्ली में आने वालों का दम घुटता है तो यहां के रहने वालों का तो दम घुट ही रहा है। यमुना भी प्रदूषित हो चुकी है। सड़कों पर यातायात का रैला महाकुम्भ की तरह दिखायी और महसूस होता है। इन्हीं सारे विषयों को लेकर भाजपा इस बार ’’दिल्ली जीतो हर हाल में’’ आधार पर चुनाव लड़ रही है और चुनाव प्रचार के अंतिम दिन आज उसने पूरी ताकत झौक दी। बुधवार 5 फरवरी को दिल्ली विधानसभा के लिए मतदान होना है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पिछले 10 साल के अधिक समय से देश की राजधानी की विधानसभा पर राज कर रही है और भाजपा राजधानी की विधानसभा में नहीं पहुंच पा रही है। अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह और देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मतदाताओं तक अपनी बात को पहुंचाया।
राजधानी दिल्ली की राजनीति भी पिछले एक दशक से लगातार एक अलग तरह का खेल खेल रही है। पिछले दो लोकसभा चुनाव से दिल्ली के मतदाता भाजपा को सभी सीटों पर भरपूर समर्थन देते हुए सातों सीटों पर ’’पंसद और नापसंद’’ उम्मीदवारों को भी जिताते चले आ रहे हैं लेकिन विधानसभा के दरवाजे पर यही मतदाता भाजपा को प्रवेश करने से रोकते रहे हैं। 25 साल पहले भाजपा दिल्ली की सत्ता में रही और मदनलाल खुराना से लेकर साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज जैसे राजनेता मुख्यमंत्री बने लेकिन उसके बाद कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा पर कब्जा कर लिया लेकिन इसके बाद अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी लगातार दो विधानसभा चुनाव जीती और तीसरी बार भी वह पूरी तरह से आश्वस्त है कि उसे सत्ता मिलेगी।
70 सदस्यों वाली दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी की लगातार दो बार जीत का मुख्य कारण यह रहा कि इस राज्य की हर विधानसभा सीट पर बिहार, गरीब, मुस्लिम सहित अन्य जातिगत वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। कहते हैं कि बिहार, गरीब और मुस्लिम वोट ही पिछले दो विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत का कारण रहे क्योंकि अवैध कालोनियों को नियमित करने का आश्वासन, अधिकांश मध्यम वर्गीय मतदाताओं को निःशुल्क बिजली और निःशुल्क पानी का वितरण तथा सरकारी बसों में महिलाओं को फ्री यात्रा सहित अन्य लुभावनी योजनाएं ’’आम आदमी पार्टी’’ को विजयी बनाती रहीं हैं। इसके बाद कई और योजनाओं को इस पार्टी ने प्रचारित किया जिनके सहारे वह तीसरी बार सत्ता पाने की कोशिश कर हरी है। वहीं भाजपा ने भी इस बार इन्हीं मतदाताओं पर अपना फोकस किया है। भाजपा ने भी गरीबों, किसानों, दलितों, महिलाओं, विद्यार्थियों सहित मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए सरकार बनने के जो वायदे किए हैं उनके आधार पर मतदाता किस ओर आकर्षित होता है यह 8 फरवरी को आने वाले परिणामों के साथ ही जाहिर हो जाएगा। वहीं इस बार कांग्रेस भी पूरी ताकत के साथ चुनाव में उतरी है और उसकी स्थिति क्या रहेगी यह भी 8 फरवरी को दिखायी पड़ जाएगा।
(updated on 3rd February 25)
|
|