### -- "Show Me 1 Photo": Ajit Doval's Dare To Foreign Media On Op Sindoor Claims ### -- Both Engines Shut Down Within Seconds Of Take-Off: ### -- Maratha Military Landscapes of India Inscribed in the UNESCO World Heritage List ### -- NHRC, India’s coveted four- week Summer Internship Programme concludes ### -- Amit Shah Chairs Meeting On Yamuna Rejuvenation ### -- Joint Parliamentary Committee On ‘One Nation One Election’ Held ### -- Rajnath Singh Chairs Council Meeting Of NCC Alumni Association ### -- India Emerging As Reliable Partner In Global Value Chain: VP Dhankar ### -- Workshop on Rural Piped Water Supply Schemes,” concludes ### -- Union Minister Pankaj Chaudhary inaugurates Trade Facilitation Conference ### -- Govt Launches Whitepaper On Quantum Cyber Readiness ### -- 3 out of every 4 Bihar electors have submitted their Enumeration Forms ### -- Govt Gives Service Extension To Home Secretary Govind Mohan
Home | Latest Articles | Latest Interviews | About Us | Our Group | Contact Us

 -अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर हमले., अब दंडात्मक कार्रवाई जरूरी

लेखक : SHEKHAR KAPOOR


 
 वर्ष 1947 में भारत क्या आजाद हो गया हम हिंदुस्तानियों को हर तरह की आजादी मिल गई। हम कहीं पर पर भी गंदगी कर दें, कहीं पर भी शौच कर दें, कहीं पर भी कब्जा कर लें, किसी को भी अपशब्द कह दें, किसी के साथ भी छेड़छाड़ या बदतमीजी कर दें, कहीं पर भी अपना वाहन खड़ा कर दें सहित विभिन्न नकारात्मक कृत्य करने के विषयों को हमने अपना नैतिक और मौलिक अधिकार समझ लिया। वर्ष 1952 में बड़ी मेहनत से देश का संविधान तैयार करने वाले बाबा साहिब आम्बेडकर और उनकी टीम आज जब संविधान के नैतिक मूल्यों का ह्ास देखती होगी तो शायद उनके भी आंसू नहीं निकलते होंगे क्योंकि मूर्तियों और चित्रों से अश्रुधारा अगर निकली तो लोग फिर इन हस्तियों का मजाक उड़ाएंगे लेकिन यह सत्य है कि उनकी आत्मा अवश्य रोती होगी। संविधान में ’अभिव्यक्ति की आजादी’ का जो अध्याय उनके द्वारा मानव समाज के विकास और व्यक्तित्व को निखारने के लिए लिख कर शामिल किया गया आज उसका सबसे अधिक दुरूपयोग बाहरी अर्थात विदेशी नहीं बल्कि हम हिंदुस्तानी नागरिक ही सबसे ज्यादा कर रहे हैं। हम इस आजादी के नाम पर मिले अधिकार को आधुनिकता से जोड़कर और धन कमाने के चक्कर में अपने देश की संस्कृति, रिवायत, देशभक्ति और इज्जत तथा सम्मान को नजरअंदाज करते चले जा रहे हैं। जब इस तरह की गलती पर भारतीय समाज का सुधारवादी वर्ग और कानून विरोध के रूप में खड़ा होता है तो गलती करने वाला.,...गलती हो गई...माफ कर दीजिए......शर्मिंदा हॅू जैसे शब्द बोलकर अपनी गलती को सुधारने की बात कहकर आराम से घर में चादर तानकर सो जाता है लेकिन तब तक देश, समाज और संस्कृति पर धब्बा लग चुका होता है जिसके मिटने में कई साल और युग लग जाते हैं।

हाल ही में यूट्यूब के एक पॉपुलर शो इंडिया गॉट टेलेंट में शामिल हुए यूट्यूबर ने माता-पिता के शारीरिक संबंधों पर फूहड़ बातें कहीं और जमकर हमारी संस्कृति, रिश्तों और अपनत्व पर चोट की। इस शो में युवक और युवतियां दोनों ही शामिल थे जो माता-पिता के सैक्स पर खुलकर बाते कर रहे थे। जब इस शो का विरोध हुआ तो सम्बंधित निर्माता और युवक-युवतियां क्षमा मांगने लगे लेकिन तब तक देश में उनकी फूहड़ टिप्पणियां करोड़ों भारतीयों को का्रेधित कर चुकी थी। हालांकि वास्तविकता यह है कि हमारे देश की संस्कृति, धर्म, कर्म, नारी, ममता, गरीबी, अमीरी सहित विभिन्न विषयों पर जब किसी व्यक्ति या वर्ग विशेष व्यक्ति द्वारा कोई कमेंट अर्थात टिप्पणी की जाती है अथवा करवाई जाती है तो उसके पीछे वास्तविकता ’पब्लिसिटी’ पाने की होती है। टिप्पणी करने या करवाने वाले को पता होता है कि जैसे ही सम्बंधित ’शब्द या वाक्य’ उनके मुंह से निकलेगा तो खबरों का भूखा मीडिया तत्काल उस शब्द और वाक्य को सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों पर उछाल देगा। 10...20 लाख या करोड़ कमेंट्स आते ही उस व्यक्ति या संस्था की शोहरत हो चुकी होगी। अगर विरोध का बवंडर अर्थात आंधी चली तो क्या फर्क पडेंगा?। चूंकि समाज और देश में रहना है तो क्षमा याचना करने में क्या दिक्कत है और क्षमा मांग ली जाएगी। पुलिस और कानून कोई उन्हें जेल तो भेज नहीं देगा और ना ही कोई शारीरिक दंड उन्हें भुगतना होगा। अर्थात यह प्रक्रिया हमारे देश में लगातार जारी है। संस्कृति और देश के सम्मान पर हमले जारी हैं और हमले करने वाले बाद में माफी मांग लेते हैं। कोई कानून इस दिशा में इस तरह की नकारात्मकता को नहीं रोक पा रहा है। ये हस्तियां अपने विचारों से असंख्य लोगों को गलत दिशा दे अंधेरे की तरफ धकेल देती हैं लेकिन टिप्पणी करने वाला शानदार जिंदगी जी रहा होता है।

हमारा इस दिशा मंे विचार यही है कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर विचारों को व्यक्त करने की स्पर्धा हमारे देश में राजनेताओं ने जो शुरू की तो उसने सिनेमा जगत और व्यवसायिक तंत्र को चपेट में ले लिया। अपराधियों का राबिन हुड बनने के कारण कई युवा अपराध की तरफ चले गए। गलत संभाषण, गलत व्याख्यान, संस्कृति को तोड़ मरोडकर पेश करने का सिला हमारे देश में लगातार जारी है जिस पर अब नियंत्रण और रोक के साथ तात्कालिक कार्रवाई और फिर कड़ी और सीख देनी वाली दंडात्मक कार्रवाई होना जरूरी है। वरना तो आधुनिकता की आड़ मंे ’’क्षमा याचना’’ को कवच के रूप में उपयोग करते हुए आधुनिकतावादी हमारे देश, धर्म और संस्कृति को अपने तरह से रौंदते रहेंगे।(UPDATED ON 12TH FEBRUARY 25)
---------------