हमारे देश भारत के अंदर इस वक्त विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस के साथ ही समाजवादी पार्टी एवं अन्य दलों के कई बड़े नेता इस बात का प्रचार लगातार करते चले आ रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुसलमानों के विरोधी हैं। वह भारत में मौजूद मुसलमानों को नेस्तनाबूद करना चाहते हैं। यह भी आरोप उन पर हैदराबाद के सांसद असद्दीन औबेसी लगाते हैं कि मोदी इस देश के मुसलमानों के कट्टर विरोधी हैं। इन आरोपों के बावजूद आरोप लगाने वाले यह बात आज तक सार्वजनिक नहीं कर पाये कि आखिर पिछले 10 वर्ष के अधिक समय में पीएम मोदी के कार्यकाल में कितने हिंदुस्तानी मुसलमानों ने भारत को छोड़ा? वो आज तक यह भी बता नहीं पाये कि कितने मुसलमानों को हिंदुओं की तरह मिलने वाले लाभांश से दूर रखा गया? अंत में मुख्य बात जो सबसे अधिक विश्व स्तर पर मोदी के पक्ष में सामने आती है वह यही है कि देश की 25 करोड़ से अधिक मुस्लिम आबादी को यह बात क्यों समझ में नहीं आ रही है कि आखिर विश्व के प्रमुख और विकसित मुस्लिम देश भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को क्यों सर्वाधिक रूप से पसंद करते हैं और अपने-अपने देशों में उनका खैर-मकद्दम करते हैं, वहां के शासक उनसे गले मिलते हैं,उन्हें अपने-अपने देश की पवित्रतम मस्जिदों में ले जाते हैं और उन्हें उन प्रतिष्ठित अवार्ड से सम्मानित करते हैं जो कि किसी अन्य भारतीय मुस्लिम नेता को नहीं मिले। उन्हें सउदी अरब, मिस्त्र,बहरीन और कतर जैसे विकसित देशों ने गले लगाया है तो 6 से अधिक अवार्ड भी दिये हैं।
आज की संपादकीय में इस विषय को हम इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि मोदी इस वक्त ब्रुनेई नामक मुस्लिम देश की यात्रा पर हैं और उन्होंने वहां की पवित्रतम मस्जिद का अवलोकन भी किया। उनके साथ इस देश के सुल्तान भी थे। मुस्लिम देशों में मोदी की लगातार यात्राएं और उन्हें वहां मिलती तवज्जौह पर भारतीय मुसलमानों को ध्यान देने की सर्वाधिक आवश्यकता इसलिए है कि विश्व के अधिकांश मुस्लिम देश आखिर उनके कार्यकाल को क्यों पसंद कर रहे हैं? निश्चित रूप से अगर भारतीय मुसलमान इन विषयों पर ध्यान दें तो उन्हें अपनी उन गल्तियों का अहसास होगा जो कि वो करते आ रहे हैं या उनसे अधिकांश भारतीय मुस्लिम नेता, राजनेता तथा अन्य राजनीतिक दल करवाते चले आ रहे हैं।
यह सत्य है कि मोदी के प्रधानमंत्री नेतृत्व वाली भाजपा देश के अंदर भले ही मुसलमानों को सत्ता में भागीदारी नहीं दे रही हो लेकिन यह भी सत्य है कि व्यापार, व्यवसाय, उद्योग,शिक्षा, उन्नति, मुस्लिमों के अंदर सामाजिक सुधारों, मुस्लिम महिलाओं के हक, कम जनसंख्या पर जोर जैसे विषयों के माध्यम से देश की मुस्लिम आबादी को शेष भारतीयों के साथ जोड़ने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है। अगर भाजपा और हिंदू संगठन गाय काटने,घुसपैठ एवं धर्मांतरण जैसे विषयों पर अपना विरोध करती है तो देश के मुस्लिम समाज को इस दिशा में सहयोगात्मक रूख अपनाना ही चाहिये। आखिर ये मुद्दे ही तो हैं जिन पर हिंदू आबादी बीते दशकों में अपनी मांगे करती आ रही थी। हमारा कहना यही है कि मोदी के कार्यकाल में जितना अधिक विकास मुस्लिम समाज का हो सकता है उस पर ध्यान दिया जाए और जो दकियानूसी व्यवस्था धर्म के नाम पर कट्टरपंथियों ने पिछले दशकों में विकसित की है उन्हें खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ें। अंत में जो मुख्य बात है वह यह है कि अगर मोदी का कार्यकाल हिंदुओं के हित के लिए है तो भारतीय मुस्लिम के लिए भी एक स्वर्णिम युग है विकास की दिशा में आगे बढ़ने का।
(updated on 4th sept 24)
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