हिंदू और मुसलमानों के बीच भाईचारा और गंगा जमुना तहजीब बनी रहनी चाहिये इस बात की हिमाकत हर हिंदू और मुस्लिम करता चला आ रहा है। आजादी के बाद देश में जितने भी दंगे हुए उनमें यही देखा गया है कि कट्टर मुस्लिमों ने पहले हमले किए। देश के जिन-जिन हिस्सों में मुस्लिम आबादी है वहां पर भी साम्प्रदायिक दंगों में स्पष्ट रूप से देखा गया कि हिंदू आबादी की दुकानें और मकान उन हमलावरों ने नष्ट किए जो अपने आप को मुस्लिम कहते हैं। दूसरी ओर लाखों मुस्लिम अगर अल्प संख्या में भी हिंदू आबादी के बीच रहते हैं तो शायद ही कभी कोई किसी मुस्लिम पर ऐसा हमला या संपत्ति नष्ट करने जैसी वारदातें या घटनाएं हिंदू आबादी द्वारा की गई हो। इसी प्रकार देश में हिंदुओं के बीच से धर्मांतरण करवाने की शुरूआत हम सिर्फ मुस्लिम और क्रिश्चियन कम्युनिटी में देखते आए हैं। इन दोनों समुदायों में धर्मांतरण के तरीकों में अंतर भी अलग है। उदाहरण के तौर पर क्रिश्चियन कम्युनिटी में 100 में से एक या दो हिंदुओं के धर्मांतरण के मामले सामने आते हैं। क्रिश्चियन धर्म स्वीकार करने के मामलों में कभी भी छलकपट, झूठ या बलात्कार शायद ही सुनायी पड़ा हो। इस समुदाय में जो भी धर्म परिवर्तन हुए वह गरीबी के कारण हुए। दूसरी ओर मुस्लिम वर्ग में धर्म परिवर्तन अधिकांशतः छल, कपट, जोर जबर्दस्ती और दहशत दिखाकर किए गए। दूसरी ओर हिंदू लड़कियों के साथ मुस्लिम युवकों के द्वारा बलात्कार, भगाकर ले जाना, धर्म छिपाकर शादी करना और बाद में उस युवती के साथ अनेकानेक तरह के अत्याचार देश के हर हिस्से में सुनायी पड़ते रहे हैं।
अब हम मुस्लिमांे और क्रिश्चियन समुदाय के द्वारा शिक्षा स्तर पर नजर डाले तो भी देश को फर्क दिखायी पड़ता है जिसके कारण मुस्लिमों के प्रति हिंदुओं में कटुता लगातार प्रबल होती रही है। क्रिश्चियन समुदाय ने हमेशा सेवा, चिकित्सा, समर्पण और शिक्षा के साथ मदद के रास्तों को माध्ययम बनया। जिन हिंदुओं ने इस धर्म को स्वीकार किया उनसे सम्बंधित नकारात्मक खबरें शायद ही कभी सुनायी पड़ती रही हों। दूसरी ओर मदरसों को मात्र मुस्लिमों के लिये ही रखा गया। मदरसों में दूसरे समुदाय अर्थात हिंदू बच्चे पढ़ते हों शायद ही कभी सुना गया। इसी प्रकार मदरसों मंे पढ़ने वाले मुस्लिम बच्चों ने इस्लामी शिक्षा ग्रहण करने के बाद देश और सभी वर्ग के नागरिकों की कितनी सेवा या मदद की शायद ही सुना गया हो। मदरसों से पढ़कर कितने मुस्लिम युवकों ने अपने परिवारों को इज्जत और शोहरत की जिंदगी दी उसके आंकड़े कम ही मिल पाएंगे। इसी प्रकार धर्म परिवर्तन के लिए हमेशा हिंदू युवतियों को ही क्यों माध्यम बनाया जाता रहा है यह विषय भी पिछले 77 साल से हिंदुओं के मन में ईर्ष्या और वैमनस्य पैदा करता रहा है। कितनी मुस्लिम युवतियांे के साथ हिंदू युवकांे ने बलात्कार किए उसके आंकड़े शायद ही मिल पाएं लेकिन मुस्लिम युवकों के इस विषय से जुड़े अपराध लगातार हो रहे हैं।
हम इन विषयों को मुस्लिम समुदाय के हित में इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि इस वक्त देश में परिवर्तन की लहर चल रही है। मुस्लिम समुदाय को राष्ट्रीय मुख्यधारा में हिंदुओं के साथ जोड़ने और उन्हंे इज्जत तथा शोहरत का दर्जा मिल सके इस दिशा में पर विभिन्न कानूनांे के माध्यम से केंद्रीय सरकार पहल कर रही है। जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं वहां पर मुस्लिम समुदाय पूरी तरह से सुरक्षित रहते हुए प्रगति कर रहा है। जो लाभांश केंद्रीय और भाजपा शासित राज्यों में हिंदुओं को प्राप्त हो रहे हैं वहीं लाभांश मुस्लिमों को भी मिल रहे हैं।
यह सत्य मुस्लिम समाज समझ ले कि वो इस्लामी ध्वज अपने धार्मिक कार्यक्रमों में उठाते हैं तो उनमें अपने धर्म के प्रति भावना रहती है। इसी प्रकार तिरंगा उठाते वक्त यह विचार कर लें कि वे राष्ट्रीय मुख्यधारा को ही मजबूत करें और अपने समुदाय को शिक्षित तथा आत्मनिर्भरत बनाने की दिशा में कोई कमी ना छोड़ें। जिस दिन भारतीय परिवेश से जुड़ी शिक्षा उनके शरीर में प्रविष्ठ हो जाएगी वही दिन एकता की मिसाल बन जाएगा।
(UPDATED ON 28TH APRIL 25)
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