key investment proposals received to Madhya Pradesh in Sagar////रोबोटिक्स एटीएल लैब ने ’एटीएल ऑफ द मंथ’ अवार्ड जीता///भारत और उज़्बेकिस्तान गणराज्य ने निवेश संधि पर हस्ताक्षर किए////-मध्यप्रदेश के तीन पर्यटन ग्राम राष्ट्रीय स्तर पर ’’सर्वश्रेष्ठ’’ घोषित///गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग के उपचार संबंधी नए दिशानिर्देश जारी ///पर्यटन मंत्रालय ने अतुल्य भारत कंटेंट हब और डिजिटल पोर्टल शुरू किया///भारत एक वैश्विक पर्यटन स्थल है यहां सभी मौसमों के लिए पर्यटन -उपराष्ट्रपति////-’सालिड बेस्ट प्रबंधन’ को लेकर गडकरी फार्मूले पर मंथन जरूरी//////
Home | Latest Articles | Latest Interviews |  Past Days News  | About Us | Our Group | Contact Us

 -लकडी बसोड़ की,कलाकार मुस्लिम, धर्म हिंदू का , फिर क्यों हो टकराव

लेखक : SHEKHAR KAPOOR


 

 
 आज से देश और विदेशों में हिंदू समुदाय से जुड़े परिवारों में श्री गणेशोत्सव पर्व का शुभारम्भ हो गया। कहीं तीन दिन तो कही इससे ज्यादा दिनों तक हर सनातनी घर में भगवान गणेश विराज चुके हैं। करोड़ों लोग इस पर्व के दौरान आस्था, विश्वास, सामाजिक एकता और सहिष्णुता के साथ शांति एवं समृद्धि की कामना करेंगे। हर सुबह पंडालों और घरों में गणेशजी का पूजन विधि-विधान के साथ होगा तो शाम के वक्त गणेशोत्सव के साथ आयोजित होने वाले सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यक्रमों की गूंज फिजा में गूंजती रहेगी। आस्था और विश्वास के इस पर्व की छटा में हिंदू समुदाय की हर जाति और वर्ण हिस्सा लेगा तो वहीं देश में सांस्कृतिक एकता के जो पुरौंधा चाहे वो मुस्लिम, क्रिश्चियन या अन्य धर्म के हों., धर्म से उठकर मानवीय संवेदना एवं एकता के समर्थन में हिंदू समुदाय को बधाई देते दिखायी पड़ेंगे। अर्थात यह पर्व भाई-चारे की भावना को भी प्रबल करता है।

आज धर्म से जुड़े इस महत्वपूर्ण विषय को हम इसलिए शामिल कर रहे हैं क्योंकि देश में आज जो लाखों गणेश प्रतिमाएं स्थापित हुई हैं वह धार्मिक एवं सांस्कृतिक एकता का परिचायक हैं। बस इस भावना के गूढ़ रहस्य को समझने, आत्मसात करने एवं दूसरों को इस भावना से परिचित कराने की जरूरत है। अगर देश के अंदर मौजूद गैर सनातनी धर्मावलंबी इस भावना को समझ लें तो देश में कहीं भी भेदभाव, असमानता का भाव नहीं होगा तथा सभी प्रगति करेंगे क्योंकि देश में शांति होगी। देश में आज लाखों प्रतिमाएं स्थापित हुई हैं। इन प्रतिमाओं को भले ही सजाकर और संवारने के बाद घरों एवं मंदिरों में स्थापित किया गया हो लेकिन वास्तविकता यह है कि इन प्रतिमाओं के निर्माणकर्ता अर्थात निर्माताओं में गैर-सनातनियों की संख्या सर्वाधिक है। गणेश प्रतिमा के निर्माण एवं सजावट में लकड़ी का प्रयोग सर्वाधिक होता है। ये लकड़ियां सनातन धर्म से जुड़े उन परिवारों द्वारा जंगलों एवं अन्य स्त्रोतों से एकत्रित की जाती हैं जिन्हें हमारे समाज में बसौड़ समुदाय कहा जाता है। ये समाज अनंतकाल से देवी-देवताओं की प्रतिमाओं, मंदिरों एवं देवालयों के निर्माण में लकड़ी के प्रदाय का स्त्रोत रहा है। यह समुदाय वक्त के साथ प्रगति तो कर रहा है लेकिन कहीं ना कहीं., अभी भी छुआछूत का सामना भी कर रहा है। इसी प्रकार गरीब एवं निचले क्रम पर रहने वाले मुस्लिम समुदाय कितना भी कट्टरपंथी और हिंदू विरोधी हो जाएं तथा मुल्ला-मौलवियों के बहकावे में आ जाते हों लेकिन उन्हें अपनी जीविका को चलाने अर्थात रोजगार के लिए भगवान गणेश की प्रतिमाओं को ठोस रूप देने, सजाने एवं संवारने में महारत हासिल है। इसी क्रम में कुम्हार समुदाय भी गरीबी एवं छुआछूत के बीच मिट्टी के माध्यम से इन प्रतिमाओं को तैयार करता चला आ रहा है और सनातन धर्म में स्वयं को संभ्रांत, संपन्न एवं सर्वश्रेष्ठ मानने वाले ब्राह्मण एवं वैश्य तथा अन्य प्रतिष्ठित जातियांे के लोग इन्हीं कलाकारों और निर्माताओं के द्वारा तैयार भगवान गणेशजी की प्रतिमाओं की स्तुति करते हैंे।

इस पर्व के माध्यम से हम इन सभी समुदायों एवं पंथ तथा मतावलंबियों से यही आग्रह करते हैं कि बहुत हो गया छुआछूत एवं कट्टरता। जब हम सभी रोजगार, पूजा-पाठ एवं जीवनचर्या में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं तो फिर साम्प्रदायिक वैमनस्य अब खत्म हो जाना चाहिये। सभी समुदाय एक दूसरे को एक-दूसरे का पूरक माने तथा कट्टरता को त्याग कर एक-दूसरे की भावनाओं को समझे और उन विषयों का निराकरण करने के लिए अपने-अपने धर्म के आकाओं को मजबूर कर स्वयं, परिवार तथा देश की एकता, अखंडता एवं विकास में जुट जाएं।
(UPDATED ON 7TH SEPTEMBER 24)