बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही वहां इस वक्त हिंदू समुदाय कट्टरपंथियों का सामना कर रहा है। एक माह से अधिक का समय हो चुका है सत्ता परिवर्तन हुए। बांग्लादेश में हिंदुओं की अस्मिता एवं रक्षा का मसला भारत और विश्वव्यापी हो चुका है। मामला चूंकि बांग्लादेश का आंतरिक है इसलिए भारत इस मामले में सीधे हस्तक्षेप नहीं कर रहा है लेकिन दूसरी ओर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को सौंपने की मांग वहां की सरकार और कट्टरपंथी लगातार करते हुए बदले की भावना में हिंदुओं पर अत्याचार के माध्यम से भारत सरकार पर दबाव बनाये हुए हैं। यह तो निश्चित है कि भारत सरकार शेख हसीना को वापिस बांग्लादेश नहीं भेजेगा लेकिन भारत सरकार को कहीं ना कहीं से कोई ना कोई ऐसा कदम उठाना ही पड़ेगा जिससे वहां की सरकार और कट्टरपंथी बाज आएं। एक रास्ता है कि भारत सरकार इस देश में सैन्य कार्रवाई करें और दूसरा रास्ता है भारत में लाखों की संख्या में मौजूद बांग्लादेशी एवं रोहिंग्या मुसलमानों को जबरिया बांग्लादेश एवं म्यांमार की सीमा में प्रवेश कराना क्योंकि इस वक्त भारत की सरजमीं पर भारतीय लोगों के लिए सुरक्षा के नाम पर ये घुसपैठिये समस्या बन चुके हैं।
ध्यान रहे कि बांग्लादेशी एवं रोहिंग्या मुसलमानों का प्रवेश द्वार पश्चिम बंगाल और असम की सीमा है जहां से पिछले एक दशक में लाखों मुस्लिम इन राज्यों में आकर बसे। पश्चिम बंगाल में चूंकि टीएमसी की सरकार है और ये राज्य सरकार कट्टरपंथी मुसलमानों को सत्ता के लालच में संरक्षण देती रही है लेकिन इन लाखों बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों ने सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही अपनी जगह नहीं बनाई है बल्कि पश्चिम बंगाल में स्थानीय रीति-रिवाजों एवं हिंदी भाषा को सीखने के बाद इन्हें एक सुनियोजित योजना के तहत देश के उन राज्यों में प्रवेश कराया जा रहा है जहां पर स्थानीय कट्टरपंथी मुसलमानों के माध्यम से उन्हें संरक्षण प्राप्त हो रहा है। इतना ही नहीं इन मुसलमानों को भारत में बसाने के लिए देश के विभिन्न राज्यों में मस्जिदों का विस्तार एवं निर्माण लगातार हो रहा है जिससे स्थानीय आबादी प्रभावित हो रही है।
हम यह बता दें कि भारत के अंदर जो कट्टरपंथी मुस्लिम हैं और जो भारत की भौगोलिक स्थिति को जनसंख्या के माध्यम से प्रभावित करना चाहते हैं उनके लिए ये घुसपैठिये ’’प्रोटिन’’ का काम कर रहे हैं। एक तरफ कट्टरपंथी मुस्लिम भाजपा सरकार का विरोध और जनसंख्या तथा समान नागरिक संहिता का विरोध कर भारत सरकार पर दबाव डालते चले आ रहे हैं तो वहीं इन घुसैपैठियों के माध्यम से स्थानीय मुस्लिम आबादी के बीच में मिश्रित कर जनसंख्या को बढ़ाने का काम भी जारी है। हिंदुस्तानी कट्टरपंथी मुस्लिम हमला करने, आतंकवाद एवं भीड़़ एकत्रित करने के मामले में इन लोगों के माध्यम से अपना रौद्र और हमलावर रूप दिखाते चले आ रहे हैं। ’’हम सड़कों पर आ जाएंगे’’ जैसी धमकियां लगातार केंद्र सरकार को कट्टरपंथी देते आ रहे हैं। उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश में तो इनके कारण अशांति की खबरें लगातार बनी हुई हैं। चूंकि पश्चिम बंगाल सरकार इस मामले में वोट की राजनीति और सत्ता में बने रहने के लिए अपने राज्य को तो तबाह कर ही चुकी है लेकिन देश के दूसरे राज्यों में भी ये बांग्लादेशी और रोहिंग्या खतरा बन चुके हैं जिन पर नियंत्रण एवं रोकने के अभियान का जिम्मा केंद्र सरकार को अपने हाथ में तत्काल प्रभाव से लेना होगा। इसके अलावा अन्य कोई दूसरा रास्ता फिलहाल नहीं है।
(updated on8th september 24)
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