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 रेलवे ट्रेक पर बोल्डर, रहम के काबित नहीं मौत के सौदागर

लेखक : SHEKHAR KAPOOR


 

 
 कानपुर में 9 सितम्बर को देशद्रोही तत्वों ने रेलवे ट्रेक पर 70-70 किलो वजनी सीमेंट के बोल्डर रख यात्री ट्रेन को दुर्घटनाग्रस्त करने की कोशिश की लेकिन ईश्वर ने मानवता और रेलवे मंत्रालय का साथ दिया। इस रेल लाइन पर किसी यात्री ट्रेन के आने से पहले मालगाड़ी गुजरी और मालगाड़ी की टक्कर से ये बोल्डर टूटकर दूसरी ओर छिटक गए। अगर इस रेलवे लाइन पर कोई यात्री गाड़ी गुजरती तो अंदाजा लगाईये कि कितनी बड़ी दुर्घटना होती। सैकड़ांे लोगों की जान जाने या उनके हताहत होने की पूरी संभावना थी। हम यह बता दें कि यह कोई पहला मामला नहीं है। इसके पहले प्रयागराज से भिवानी जाने वाली कालिंदी एक्सप्रेस ट्रेन को उड़ाने के षड़यंत्र के तहत एलपीजी सिलेंडर के माध्यम से विस्फोट का प्रयास किया गया। इसी प्रकार कई बार रेलवे लाइनों को पार करने के नाम पर भी वाहनों को फंसाकर रेलों को पटरियों से उतार कर दुर्घटनाग्रस्त कर लाशों और घायलों के माध्यम से आतंकवादी तत्व अपनी ओर ध्यान आकृष्ट करने की कोशिश करते चले आ रहे हैं। विशेषकर रात के समय रेलवे लाइनों को निशाना बनाने का उद्देश्य यही होता है कि रात के वक्त सर्वाधिक नुकसान होता है और दुर्घटना को अंजाम देने के बाद ये आतंकवादी काफी दूर भाग चुके होते हैं।

इन वारदातों ने इस बात को साबित किया है कि अब ये आतंकवादी आतंक फैलाने के तरीकों में बदलाव कर रहे हैं। अब वो किसी को गोली मारने या दंगा जैसे विषयों से अलग हटकर रेलों और रेलवे लाइनों को निशाना बनाने की कोशिश में लग गए हैं। आरंभिक जाचं में ये देशद्रोही तत्व कहीं ना कहीं से उन संगठनों से जुड़े पाए गए हैं जिन्हें कट्टरता फैलाने में असफलता मिली और कुठित तथा आतंकी मानसिकता ने उन्हें अब रेलवे लाइनों को निशाना बनाकर आतंक फैलाने का काम आरम्भ किया है। इन आतंकियों के लिए देशहित, मानवता और भाईचारा जैसा विषय कोई मायने नहीं रखता है। उनका लक्ष्य बस लाशें बिछाना और उसके माध्यम से आतंक फैलाना मात्र ही होता है।

यह सही है कि रेलवे पटरियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी अवश्य रेलवे और उसकी जांच एजेंसियों की है लेकिन यह भी सही है कि देश में रेलवे की जमीनों पर ही लाखों बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों ने अपने रहने, खाने और कारोबार करने के ठिकाने बनाये हुए हैं। कचरा बीनने का काम करने की आड़ में इनके अराजक तत्व रेलवे लाइनों पर किसी शहर में घूमते देखे जा सकते हैं। जब इनकी पकड़ केंद्रीय जांच एजेंसियां करती हैं तो इस कार्रवाई को मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई का नाम दे दिया जाकर केंद्रीय जांच एजेंसियों पर आरोप लगाये जाने लगते हैं। जांच और कार्रवाई में उन राज्यों की स्थानीय पुलिस का सहयोग नहीं मिल पाता है जहां विपक्षी सरकारें हैं। हमारा सुझाव है कि जिस प्रकार से आतंकवादी रेलवे लाइनों पर यात्री ट्रेनों को दुर्घटनाग्रस्त करवा कर लाशों को बिछाना चाहते हैं उस संदर्भ में अब रेलवे और केंद्र सरकार को राज्यों की पुलिस के साथ मिलकर संयुक्त कार्रवाई करनी होगी। इतना ही नहीं रेलवे लाइनों के आसपास के इलाकों में रहने वालों पर भी नजरें रखने के साथ ही रेलवे लाइनों को और कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है इस विषय पर रणनीति बनाने की जरूरत आ चुकी है। रेलवे लाइनों के साथ छेड़छाड़ और पकड़े गये आरोपियों पर देशद्रोह की कार्रवाई करने के साथ ही ’’नो अपील, नो दलील’’ की रणनीति भी अपनानी होगी।
(updated on 10th septmber 24)