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 राजनीतिज्ञ सचेत हो जाएं, जनता अब झांसों में विश्वास नहीं करती

लेखक : SHEKHAR KAPOOR


 
 दिल्ली विधानसभा का चुनाव उन राजनीतिज्ञों पर एक करारा तमाचा है जो कि मतदाताओं को सब्जबाग दिखाते हैं और उन विषयों को जनता के बीच उछाल देते हैं जो सुनने और देखने में सुहावने लगते हैं लेकिन उन विषयों अर्थात वायदों से जनता का कोई भला नहीं होता है। आज से 11 साल पहले जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने पहली बार दिल्ली विस का चुनाव लड़ा तो वो वायदे किए गए थे जिन्हें करने की जरूरत नहीं थी। उदाहरण के तौर पर बिजली मुफ्त में दी जाएगी। पीने का पानी मुफ्त में दिया जाएगा। महिलाओं को यात्री बसों में मुफ्त यात्रा करने की सुविधा रहेगी। बूढ़े लोगों को तीर्थयात्रा कराई जाएगी इत्यादि...इत्यादि। बीते 11 साल के दौराल सत्तारूढ़ दल के विधायक और कार्यकर्ता यह भूल गए कि हर इलाके की सबसे पहली आवश्यक होती है स्वच्छता, सड़क यातायात, जन प्रतिनिधियों का जनता के साथ सीधा संपर्क, बेईमानी ना करना, शराब और मादक पदार्थों को प्रोत्साहन ना देना, कानून व्यवस्था, पार्टी और सरकार के साथ ही प्रशासन के साथ कामकाज में पारदर्शिता। चाहे शिक्षित व्यक्ति हो या अशिक्षित सबसे पहले उसकी आवश्यकता इन्हीं विषयों पर राजनेताओं को लेकर टिकती है। इसके बाद जो मसले आते हैं वह होते हैं कि बेरोजगारों को रोजगार मिला या नहीं। इसके साथ ही जिस शहर में भी लोग रहते हैं वह यही चाहते हैं कि उनका शहर या नगर या इलाका इतना खूबसूरत दिखे कि सभी लोग या बाहरी लोग उस क्षेत्र की प्रशंसा करें।

बीते 10 सालों में पूरे देश ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में देखा गया कि केंद्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी गठबंधन की सरकार एवं दिल्ली सरकार के बीच लगातार वाक और शीत युद्ध चलता रहा। केंद्र सरकार कहती रही कि हम दिल्ली राज्य के विकास के लिए जो धनरशि भेजते हैं उसका उपयोग राज्य सरकार नहीं कर रही है। प्रतिदिन मीडिया में शत-प्रतिशत खबरें दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के राजनीतिज्ञों के बीच मतभेद और तनाव की प्रसारित और प्रकाशित होती रहीं। यमुना का पानी दिल्ली वासियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण रहा। आम आदमी पार्टी लगातार इस पवित्र नदी को स्वच्छ करने की बात कहती रही लेकिन हर साल शीत के मौसम में प्रदूषण से भरपूर इस नदी के भयानक रूप को पूरा देश देखता रहा। इसी प्रकार दिल्ली के अंदरूनी इलाके जहां पर लाखों की संख्या में लोग नागरिक सुविधाओं की अपेक्षा करते हुए निवास करते हैं उनकी पहली आवश्यकता यही होती है कि उन्हें वो सभी नागरिक सुविधाएं प्राप्त हों जिनके लिए वो राजनीतिज्ञों या किसी पार्टी के नेताओं के जुमलों पर विश्वास कर विजयी बनाकर सत्ता में भेजते रहे हैं।

कहावत है कि कूड़ाघर के भी दिन फिरते हैं। अब दिल्ली में भाजपा ने बहुमत प्राप्त कर लिया है और चंद घंटों बाद नयी सरकार आ जाएगी। लेकिन हम इस सरकार को भी सावधान करना चाहेंगे कि सबसे पहले वह नागरिक सुविधाओं की ओर ध्यान दें। इस बात का पूरा ध्यान रखा जाए कि हर नागरिक को वो सभी सुविधाएं प्राप्त हो जाएं जो कि उसके मौलिक अधिकारों में आती हैं और जनता के प्रतिनिधि जनसेवक के रूप में हमेशा तैयार रहें। इसी प्रकार उन वायदों को वह अवश्य पूरा करे जिन्हें चुनाव के समय प्रचारित कर जनता के मन-मस्तिष्क में जगह बनाकर वोट प्राप्त कर सत्ता में प्रवेश किया है। इसी प्रकार शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात, प्रदूषण, पर्यावरण, कानून और व्यवस्था जैसे मसलों पर दिल्ली ही क्यों हर राज्य सरकार को ध्यान देना उसकी इच्छा शक्ति का पहला प्रयास होना चाहिये। इसी प्रकार राज्य सरकार के मुखिया को अपने कार्यकर्ताओं और विधायकों तथा पदाधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी नजर रखनी होगी। उन्हें इस बात का ध्यान रखना होगा कि भ्रष्टाचार का कीड़ा हावी ना हो जाए। अगर कार्यप्रणाली में भ्रष्टाचार, निकम्मापन, अहंकार, बेईमानी जैसे नकारात्मक तत्व विकसित होते रहे तो इससे राज्य सरकार के साथ ही केंद्रीय सरकार और भाजपा भी बदनाम होगी। आज देश की अधिकांश जनता भाजपा पर विश्वास करने लगी है और उसी का परिणाम है कि आज देश के पांच-सात राज्यों को छोड़ सभी जगह भाजपा का परचम लहरा रहा है।

(UPDATED ON 9TH FEBRUARY 25)
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