मध्यप्रदेश में तेजी के साथ डा.मोहन यादव सरकार औद्योगिकीकरण पर जोर दे रही है। ग्वालियर में तीन दिन पहले जो सूत्रपात लाखों करोड़ों के पूंजी निवेश का किया गया तो उससे इस बात की शुरूआत भी हुई कि यातायात के विषय पर भी सरकार पूरी तल्लीनता के साथ ध्यान देगी। हालांकि कालांतर का अनुभव है कि इस विषय पर कभी गंभीरता नहीं बन पाई कि यातायात सिर्फ सड़कों के माध्यम से ही नहीं बल्कि जल के माध्यम से भी किया जा सकता है। बस इस दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है। लाखों लोग आज भी प्रतिदिन देश की सभी नदियों के यातायात के माध्यम से अपने गंतव्य और धार्मिक कार्य पूरे करते हैं? देश के हर राज्य से होते हुए कई नदियां विभिन्न शहरों और गांवों के लिए अगर पानी के उपयोग के माध्यम से अमृतधारा हैं तो वहीं उन पर चलने वाला यातायात आज तक क्यों सरकारी स्तर पर मान्यता प्राप्त नहीं कर पाया..? हमारे प्रदेश में नर्मदा नदी से लेकर क्षिप्रा सहित अनेकानेक छोटी और बड़ी नदियां हैं जिनके माध्यम से यातायात का जो भार सड़कों पर है उसे कम किया जा सकता है। सड़कों पर वाहनों की रफ्तार एक तात्कालिक आवश्यकता हो सकती है लेकिन जल मार्ग ऐसा विषय है जिसके माध्यम से सड़कों पर आने वाले भार को कम किया जा सकता है। माल परिवहन की दिशा में ता जल मार्ग सोने में सुहागा हो सकता है।
इतिहास गवाह है कि हमारे भारत में प्राचीन काल से नौकाएं नदियों के माध्यम से यातायात का एक प्रमुख और सुगम साधन रही हैं। देश के जितने भी तीर्थ स्थल हैं सभी नदियों के किनारे बसे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कई गांव भी होते हैं। हजारों यात्री छोटी नौका से लेकर बड़ी नौका के माध्यम से प्रतिदिन अपने गंतव्य मार्ग को पूरा करते हैं तो वहीं वे अपने धार्मिक कार्य भी करते हैं। हमारा मानना है कि औद्योगिकीकरण की दिशा में बढ़ते हुए जल यात्रा को जीवन का आधार बनाया जा सकता है। प्रकार छोटी से लेकर बड़ी नौका में सवार होने वाले यात्रियों को जीवनरक्षा जैकेट और अन्य सुविधाएं देकर नदियों पर भी यातायात को विकल्प बनाना अब जरूरी हो गया है। सड़कों पर जिस तरह से यातायात का बोझ बढ़ता जा रहा है उससे निपटने की दिशा में जल मार्ग यातायात मध्यप्रदेश के लिए वरदान साबित होकर अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण बन सकता है।
आज की संपादकीय में इस ज्वलंत विषय को हम इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि सड़कों पर यातायात तेजी के साथ बढ़ चुका है और बढ़ भी रहा है। मध्यप्रदेश में अनेकानेक औद्योगिक क्षेत्र ऐसे हैं जहां जल मार्ग मौजूद हैं बस उस जल मार्ग को यातायात की श्रेणी में रखने, सोंचने और निर्णय लेने की जरूरत है। बस इस दिशा में कुछ तैयारियां व्यापक पैमाने पर करने की जरूरत पड़ेगी। नौका परिवहन, नौका सुरक्षा, नौका चालन प्रशिक्षण, नौका दुर्घटना बीमा, नौका चलाने वाले के पास मोबाइल अथवा वाकी-टाकी यंत्र और उसका स्थानीय प्रशासन से सम्पर्क जैसे विषय पर ध्यान देने की जरूरत होगी। इसी प्रकार किसी भी नौका स्थल के पास पुलिस चौकी अथवा एम्बुलेंस की सुविधा की उपलब्धता की सुविधा उपलब्ध करानी होगी। हम उम्मीद करते हैं कि मध्यप्रदेश सरकार इस दिशा में खुले मन से विचार करे और एक व्यापक रणनीति की दिशा में कार्य करे बल्कि यह भी हो सकता है कि नदियों पर यातायात को लेकर उद्योगपतियों के साथ ही बातचीत की जाए।
(updated on 30th August 24)
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