जम्मू और कश्मीर विधानसभा की 90 सीटों के लिए पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। अब मात्र दो चरणों का मतदान होना शेष है जो कि 25 सितम्बर और एक अक्टूबर को होगा। परिणाम 8 अक्टूबर को आएंगे। अगर परिणाम भाजपा की मंशा के अनुसार आते हैं और राज्य में भाजपा सरकार बनाती है तो मानकर चलिये कि आने वाले वक्त में भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर उन शेष आपरेशनों का श्रीगणेश अवश्य करेगी जो कि देश की एकता एवं अखंडता के लिए जरूरी है। परिणाम अगर भाजपा की आशा के अनुरूप नहीं आते हैं तो इसका मकसद यही होगा कि राज्य के मुस्लिम मतदाताओं ने धारा 370 के पक्ष अर्थात केंद्र सरकार के विरोध में वोट दिया है। जैसा कि राज्य की प्रमुख तीन पार्टियां कांग्रेस,पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस ने कहा है कि विधानसभा की सत्ता में अगर वह आती हैं तो धारा 370 को फिर से बहाल करने की दिशा में उनकी कोशिशें आरम्भ हो जाएंगी। पाकिस्तान ही नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र के साथ ही कश्मीरी कट्टरवादियों का समर्थन करने वाले कई मुस्लिम मुल्क भारत सरकार के खिलाफ लामबंद होते नजर आएंगे की संभावना से कतई भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
जम्मू और कश्मीर विधानसभा के चुनाव को आज हम इसलिए पाठकों के समक्ष रख रहे हैं क्योंकि इस राज्य में मुस्लिम मतदाताओं का बाहुल्य है। पिछले 40 साल में इस राज्य में हिंदुओं के साथ जो कुछ हुआ वह पूरे देश को तो पता है हीे कि हिंदुओं को इस राज्य से बेदखल करने की कितनी कोशिशें की गईं। इसका मात्र कारण यही था कि जब भारत को अंग्रेजी दास्तां से मुक्ति मिली तो इस राज्य को भारतीय संघ क्षेत्र में मिलाने का विषय तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राज्य के मुसलमानों पर छोड़ देने के साथ ही धारा 370 नामक एक हथियार कट्टरपंथियों को थमा दिया। इस हथियार के कारण इस क्षेत्र का करीब 40 प्रतिशत हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में तभी से रहा और यह क्षेत्र हिंदुस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर क्षेत्र के रूप में जाना जाने लगा। भारतीय कश्मीर क्षेत्र के कट्टरपंथी मुसलमानों की और अधिक कट्टर तकदीर लिखने का काम पाकिस्तान लगातार करता रहा। कश्मीर के आतंकवाद ने शेष भारत में भी घुसपैठ कर देश को नेस्तानबूद करने का काम किया।
इस संभावित तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि 8 अक्टूबर को जब इस राज्य की विधानसभा के चुनाव परिणाम सामने आएंगे तो पूरे विश्व में उसकी चर्चा होगी। अगर परिणाम भाजपा के अनुकूल होते हैं तो विश्व विरादरी को धारा 370 हटाने के कदम के रूप में मोदी और शाह के साथ भाजपा की पीठ थपथपानी पड़ेगी और भाजपा का अगला चरण पाक अधिकृत कश्मीर होगा। भाजपा के अनुकूल परिणाम हिंदुस्तान के अन्य राज्यों के शेष कट्टरपंथी मुसलमानों के लिए संदेश होगा कि भविष्य में अब भाजपा की केंद्र सरकार मुसलमानों के हित में और अधिक प्रभावकारी कदम उठाएगी। अगर परिणाम भाजपा के अनुकूल नहीं होते हैं तो भाजपा ही नहीं बल्कि देश के बहुसंख्यक मतदाताओं के लिए स्पष्ट संदेश होगा कि इस राज्य के लोगों के कल्याण के लिए कितना भी कुछ कर लिया जाए लेकिन वो कट्टरता को नहीं छोड़ सकते हैं। अर्थात देश में एक अस्थिरता का वातावरण भविष्य में दिखायी पड़ना आरम्भ होना निश्चित होगा क्योंकि पीडीपी,कांग्रेस एवं नेशनल कांफ्रेंस के नेता उस वक्त मोदी और शाह को आंख दिखाते नजर आएंगे।
(UPDATED ON 23RD SEPT 24)
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