मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ’’रोजगार और कारोबार’’ को बढ़ावा देने के लिए इस वक्त देश के प्रमुख राज्यों की राजधानियों एवं अन्य क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। अब तक वह नयी दिल्ली से बेंगलुरू और मुंबई तथा कोलकता के बीच फांसले तय कर चुके हैं। इसी श्रेणी में उनकी देश के रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव से लेकर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के जिम्मेदारों के साथ बीते दिनों में बैठकें हो चुकी हैं जिसका मूल उद्देश्य यही है कि मध्यप्रदेश का हर प्रमुख इलाका रेल और हवाई मार्ग से जुड़ जाए जिससे कि उद्योग जगत के साथ ही माल के परिवहन, मानव श्रम एवं नागरिकों को यातायात के मामले में सुविधाएं मिल सकें। जो भी प्रयास इस दिशा में इस वक्त मुख्यमंत्री और उनकी टीम के द्वारा किए जा रहे हैं हम उनका स्वागत करते हैं लेकिन इसके साथ ही उन विषयों पर भी उन्हें सावधान करेंगे जो वर्तमान के साथ ही भविष्य में उनके लिए चुनौतियां लेकर खड़े होंगे।
उदाहरण के तौर पर जब वह 20 सितम्बर को कोलकता में उद्योगपतियों के साथ बातचीत कर रहे थे उसके बाद उनकी ओर से बताया गया कि मध्यप्रदेश में 20 हजार करोड़ के उद्योग निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए। अर्थात इस समिट में उन्हें पश्चिम बंगाल और पश्चिम बंगाल के मार्फत मात्र प्रस्ताव ही प्राप्त हुए हैं। अर्थात अभी ये मात्र प्रस्ताव हैं और ये प्रस्ताव कितने समय में मूर्तरूप ले सकेंगे यह भविष्य का विषय है। मध्यप्रदेश सरकार के पास अभी करीब चार वर्ष का कार्यकाल शेष है अतः उनकी टीम इन प्रस्तावों को ठोस रूप देने के लिए तुरंत एक्टिव हो जाए। टीम के एक्टिव होने के साथ ही इन निवेशकों को जमीन,जमीन एग्रीमेंट, बिजली, यातायात, आवागमन, सड़कों के निर्माण, पर्यावरण, दक्ष कर्मचारियों की जरूरत और कानूून व्यवस्था जैसे विषयों पर मदद की जरूरत पड़ेगी। जैसे ही इन विषयों पर काम 50 प्रतिशत तक पूरा होगा उसी के बाद ये 20 हजार करोड़ के प्रस्ताव मूर्तरूप लेना आरम्भ कर पाएंगे। मुख्यमंत्री को यह सत्य ध्यान में रखना होगा कि कोलकता में उन्हें मात्र 20 हजार करोड़ रूपये के उद्योग निवेश के प्रस्ताव मिले हैं ना कि इन उद्योगपतियों की स्वीकृति। अर्थात मुख्यमंत्री की टीम पर इन प्रस्तावों को मूर्तरूप देने की मुख्य जिम्मेदारी उन संसाधानों पर ही आकर टिकती है जो कि किसी उद्योग के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। मुख्यमंत्री को यह सत्य भी ध्यान में रखना होगा कि इस संदर्भ में उन्हें अपनी समय-सीमा भी तय करनी होगी। इस दौरान प्रदेश सरकार को मध्यप्रदेश में शांति एवं सुरक्षा, अपराध, सड़कों के निर्माण, पर्यावरण, यातायात नियमों का पालन जैसे विषयों को फाइनल करना होगा क्योंकि उद्योग जगत इन संसाधनों के बिना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ेगा। इन उद्योगों में मध्यप्रदेश के शत-प्रतिशत बेरोजगारों को रोजगार मिल सके इसके लिए आईआईटी, आईएमटी सहित विभिन्न तकनीकी प्रशिक्षण संस्थानों में युवाओं एवं बेरोजगारों को आरम्भिक स्तर पर दक्ष करने की जिम्मेदारी की दिशा में काम तुरंत शुरू करना होगा। ऐसा नहीं हो कि बाहरी लोग रोजगार प्राप्त करते रहें और प्रदेश मंे बेरोजगार मुंह ताकते रहें।
जिन विषयों पर हमने मुख्यमंत्री और उनकी टीम का ध्यान दिलाया है उन पर तुरंत काम करने की जरूरत है। ऐसा ना हो कि उनके विरोधियों और विरोधी दलों के नेताओं के मुंह से आग उगलते बयान बाहर आने और फिजां को प्रभावित करने में देर नहीं लगेगी।
(updated on 21st september 2024)
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