किसी भी राज्य की प्रगति का आधार क्या है? जिस राज्य में किसी राजनीतिक दल की सरकार मजबूत तथा लम्बे समय तक चलने वाली होती है और उस राज्य का पुलिस बल अगर ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ तथा सजग होता है तो उसका प्रभाव सम्बंधित राज्य की आर्थिक स्थिति पर मजबूती के रूप में विभिन्न माध्यमों के माध्यम से देखा जा सकता है। जिस राज्य में सर्वाधिक रूप से विश्वविद्यालय, सर्वाधिक रूप से उद्योगपति तथा व्यवसायी एवं उत्साही सृजनकर्ता पूंजी निवेश करते दिखायी पड़ते हैं तो इसका स्पष्ट संदेश होता है कि सम्बंधित राज्य की कानून और व्यवस्था की स्थिति बेहतर है। जहां तक कार्यपालिका के विभिन्न अंगों की योग्यता एवं ईमानदारी का सवाल आता है तो सम्बंधित अधिकारी एवं कर्मचारी हालात को देखते हुए सही ट्रेक पर ही चलना पसंद करते हैं। वे भ्रष्टाचार में भले ही लिप्त ना होते हों लेकिन भ्रष्टाचार की दलदल से उन्हें गुजरना ही पड़ता है और तब पुलिस तथा उससे जुड़ी एजेंसियां ही ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ठ कर्मियों की कार्यपद्धति ही हालात को संभालने में अपनी भूमिका निभाती चली आई है। हमारे देश में कई राज्य ऐसे हैं जहां उद्योगपति एवं व्यवसायी पूंजी निवेश नहीं करना चाहते हैं और इसका कारण यही है कि सम्बंधित राज्य में अपराधों का बोलवाला है एवं कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बेहतर नहीं है।
हमने इस शाश्वत सत्य को मध्यप्रदेश के संदर्भ में इसलिए उठाया है क्योंकि पूरे देश के उद्योगपति, व्यवसायी एवं पंूजी निवेशक मध्यप्रदेश को शांति एवं सुरक्षा की दृष्टि से एक माकूल राज्य तो मानते हैं लेकिन जो पुलिसकर्मी हैं वो कहीं ना कहीं से राजनीतिक हस्तक्षेप से तड़पड़ा रहे हैं जो उन्हें उनके कर्तव्यनिष्ठा एवं ईमानदारी से कार्य करने से रोक रहा है। उदाहरण के तौर पर विधायक या सत्तारूढ़ दल के पदाधिकारी के मात्र एक पत्र लिख देने से सम्बंधित पुलिस कर्मी का तबादला कर दिया जाता है या उसे लूपलाइन पर डाल दिया जाता है। इस सत्य की परीक्षा नहीं की जाती है कि आखिर सम्बंधित पुलिसकर्मी अयोग्यता का शिकार हुआ है या नापसंदगी का...? अगर कोई वरिष्ठ पुलिसकर्मी कानून व्यवस्था को सर्वोपरि मानता है तो उसे हटाने, स्थानांतरित करने या लूपलाइन पर पटक देने जैसे मामलों की भी समीक्षा होनी ही चाहिये।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव इस वक्त पूरे देश एवं प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में उद्योग एवं व्यवसायिक कांक्लेव के माध्यम से पूंजी निवेश के लिए प्रयासरत हैं। उनके जहन में यही बात सर्वोपरि है कि प्रदेश में उद्योग एवं व्यवसायिक जगत के माध्यम से पूंजी निवेश हो, उद्योग एवं व्यवसाय स्थापित हों तथा राज्य सरकार का खजाना विभिन्न करों के माध्यम से भरता रहे। इसके अलावा वह यह भी चाहते हैं कि जो लोग बेरोजगार हैं तथा काम की तलाश में उन्हें प्रदेश में ही काम मिल सके। अर्थात मध्यप्रदेश के लोगों को अन्यत्र राज्यों या विकसित राज्यों की ओर जाना ना पड़े बल्कि प्रतिभा का उपयोग मध्यप्रदेश में ही हो। लेकिन इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार को राष्ट्रीय परिवेश की नीतियों के संदर्भ में कदम उठाने की जरूरत है। उदाहरण के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार विदेशी पूंजी निवेशकों को राष्ट्र में पूंजी निवेश के लिए आमंत्रित कर रही है और अंतरराष्ट्रीय निवेश इसलिए हो रहा है कि विदेशी पूंजीपति भारत को और विशेषकर भारत के कुछ राज्यों को अपने अनुकूल मानते हैं और वहां वो पहुंच रहे हैं। जिन राज्यों में ये पूंजीपति पहुंच रहे हैं वो इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि कौन-कौन से राज्यों में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बेहतर है और किन राज्यों की पुलिस पर राजनीतिक हस्तक्षेप कम या ना के बराबर है।
हमने इस याज्ञिक प्रश्न को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव के समक्ष इसलिए रखा है क्योंकि हम प्रदेश की कानून एवं व्यवस्था की स्थिति में कई मोर्चों पर सुधार की आवश्यकता महसूस करते हैं। सरकार से हम यह अपेक्षा करते हैं कि वह मध्यप्रदेश पुलिस के मनोबल को बढ़ाने की दिशा में ईमानदारी,कर्तव्यनिष्ठा एवं चरित्र तथा कार्यप्रणाली को प्राथमिकता को और अधिक प्रमुखता दें। जहां पर नामाकूल पुलिसकर्मियों की मुश्तें कसना जरूरी हो वहां पर यह काम अवश्य हो लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप के वक्त ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठा की समीक्षा अपश्य हो।
(updated on 21st october 24)
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