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 अति वृष्टि को उपहार मान प्रदेश को संवारने की जिम्मेदारी जरूरी

लेखक : SHEKHAR KAPOOR


 

 
 -अति वृष्टि को उपहार मान प्रदेश को संवारने की जिम्मेदारी जरूरी

मध्यप्रदेश में इस वक्त मानसून अपना प्रभाव दिखा रहा है। प्रदेश में इस वक्त अतिवृष्टि आसमान से हो रही है। प्रकृति के वरदान पेड़ और पौधों को आसमान से सीधे पानी मिल रहा है और ये झूम रहे हैं। जलाशयों में पानी निश्चित मात्रा से अधिक हो गया है जिसे कम करने के लिए बांधों के बंद दरवाजों को खोला जा चुका है। करीब 23 से अधिक ऐसे जिले हैं जहां सर्वाधिक बरसात हुई है। इस बरसात का प्रदेश के अधिकांश जिलों में फसल की दृष्टि से स्वागत किया जा रहा है लेकिन अत्याधिक बरसात ने बांधों की जल संग्रहण क्षमता से लेकर प्रदेश की सड़कों, नालियों, गलियों और आवागमन को प्रभावित किया है जिससे भारी नुकसान भी हुआ है। जैसे ही मानसून विदा होगा उसके साथ ही प्रदेश सरकार पर कई जिम्मेदारियां आ जाएंगी और ये भविष्य की दृष्टि से सावधानी और चेतावनी का परिचायक भी हैं।

मानसून की इस बरसात के संदर्भ में हम जिन विषयों पर प्रदेश सरकार से लेकर प्रदेश के आला अधिकारियों का ध्यान दिलाना चाहते हैं वह यही हैं कि अब हमें आने वाले सालों में होने वाली बरसात के संदर्भ में हमारे समक्ष जो चुनौतियां होंगी उनमें मुख्य रूप से यह बात शामिल है कि अगर अगले वर्षों में फिर से अतिवृष्टि होती है तो उस पानी का संग्रह कहां किया जाए...? जो बांध और जलाशय इस वक्त मौजूद हैं और उनमें जो पानी भर कर बह रहा है या उसका निकास किया जा रहा है तो इसका मकसद यह है कि आने वाले वक्त में हमें अतिरिक्त बांधों और अन्य जलाशयों की जरूरत होगी जिससे कि हम मानसून के पानी को अतिरिक्त रूप से संग्रहित कर अन्य मौसम में उसका उपयोग कर सकें तथा उन राज्यों की मदद कर सकें जहां बरसात कम होती है। इसके बाद जो सबसे प्रमुख मसला सामने आता है वह है बरसात के दौरान प्रभावित होने वाली सड़कें और यातायात मार्ग एवं मुहल्ले और बस्तियों में मची तबाही से भविष्य में निपटने की तैयारी। अर्थात सरकार को अब बरसात के बाद राष्ट्रीय, अंतरराज्जीय और अंतर जिला स्तर पर सड़कों का इस तरह से निर्माण करना होगा जो कि 50 से 100 साल तक बरसात के पानी से प्रभावित ना हों। इसी प्रकार प्रदेश में जितने भी मुहल्ले और मकान तथा आबादी है उनकी नालियों का निर्माण इस तरह से करना होगा कि मानसून जैसे ही आरम्भ हो और पानी बहता हुआ उन बांधों और जलाशयों तक पहुंचा दिया जाए जो कि खाली हैं और जहां पानी को संग्रहित किया जा सकता है।

हमने प्रदेश सरकार के समक्ष इस मसले को इसलिए उठाया है जिससे कि हमारा प्रदेश और अधिक जिम्मेदार बन सके तथा ऐसी सावधानी रखे कि अतिवृष्टि होने के बावजूद हमारी सड़कें और आबादी वाले हिस्से सुरक्षित रह सकें और यातायात कतई प्रभावित ना हो। हमारा प्रदेश ’हरे भरे प्रदेश’’ के नाम से जाना जाता है। भविष्य की दृष्टि से इस दिशा में प्रदेश को और अधिक हरा-भरा बनाने की तैयारी की जा सकती है लेकिन ध्यान रहे कि यह सफलता तभी मिल पाएगी जब सरकार ईमानदारी से इस दिशा में दृढ़ निश्चय करे और सरकार से लेकर निचले क्रम तक के अधिकारी एवं कर्मचारी ईमानदारी, दक्ष तकनीकी क्षमता तथा जिम्मेदारी का परिचय दें। इसके अलावा प्रदेशवासियों को भी नियमों और कानूनों का पालन करवाने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में काम करने की जरूरत है। अगर कठोर नियमों की जरूरत हो तो उनको भी क्रियांवित किया जाना चाहिये। हम दावे के साथ कह सकते हैं कि इन तथ्यों के बल पर भविष्य की चुनौतियों से निपटा जा सकता है।
updated on 26th august 24
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