PM lays foundation stone and inaugurates various projects in Jharkhand//// Modi takes part in cleanliness drive with youngsters ////Modi receives congratulatory messages on Swachh Bharat Mission///Coal Ministry Successfully Concludes Swachhta Hi Seva Campaign/////'धरती पर सभी झूठे मरे होंगे तब राहुल का जन्म हुआ होगा-शिवराज सिंह चौहान?////-धर्मस्थलों में युवतियों एवं बच्चों की मौजूदगी खुली किताब की तरह हो//////
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डा.अनूप निगम
स्वंत्रता दिवस को हम हर्षाेल्लास के साथ इसलिए बनाते है की देश में 200 वर्षाे तक मुस्लिम एवं अंग्रेजो ने हम पर शासन करा। इन लोगों से मुक्त कराने मे हर भारतीय का कुछ न कुछ योगदान रहा होगा। स्वाभाविक है कि अंग्रेजो ने भी कुछ जयचंदो को खरीदकर इस आजादी मिलने के पहले अड़ंगा डाला होगा। 1947 के बाद कुछ तो नीचे से सरपंच, पार्षद, विधायक संसद सदस्य फिर मंत्री बनने के लिए अपना सर्वस्व लगा देते है। वह इसके साथ साथ अपना आर्थिक विकास गलत तरीकों से, कमीशन बाजी, सेवा शुल्क, ढेकेदारी, सरकारी कर्मचारी का स्थानांतरण करने मे वे माहिर हो जाते हैं।

आजादी के बाद शुरुआत मे काफ़ी अर्से तक राजनीतिक लोगों मे सेवा की भावना भरी हुई थी। परन्तु आज का राजनीतिक व्यक्ति इन सब नैतिक गुणों से कोई वास्ता नहीं रखता। इससे यह प्रतीत होता है की हम अपनी नैतिकता को भूलते जा रहे हैं ओर जीवन की सीढ़िओ को कैसे जल्दी से जल्दी अपना आर्थिक विकास, वैभव एवं अपनी सेना का बढ़ावा हो यही प्रयास रहता है। यहाँ यह कहना केवल राजनैतिक समुदाय का क्षरण हुआ यह न्यायोंचित नहीं होगा। हमारे समाज के अन्य वर्ग जैसे की चिकिस्क, किसी भी तरह का व्यापार करने वाले व्यापारी, सरकारी सेवायो मे छोटे से बड़ा सेवक लोगों का भी क्षरण हुआ है, ओर यह सब लोग आजादी के मूल्य का लाभ ले रहे है। समाज का एक ओर अभिन्न अंग जो की आजादी से पूर्व तथा आजादी के बाद उनमें स्पष्ट रूप से परिवर्तन नजर आता है, वह है साधु, संत, मठ, मठादीश, मंदिर, शंकराचार्य आदि। पहले तो यह लोग समाज को न।तिक शिक्षा, कर्म, धर्म आदि पर दिशा निर्देश देते रहते थे। अब तो इन लोगों का बड़ा तबका दलाली, मध्यस्था में लग गया है।

हमारे देश की प्रभुता विश्व के कोने कोने पर बनी हुई है। दो बहुत बड़े विकसित देश इंग्लैंड एवं अमेरिका हैं। इंग्लैंड मे तो भारतीय मूल के श्री सुनक ने उन पर राज करा तथा कमला हेर्रिस अमेरिका के राष्ट्रपति की दौड़ मे है। इस प्रकार से बहुत बड़ी संख्या मे विश्व के हर कोने मे अपनी भारतीयता का परचम फैला रहे है। भारतीय लोग भी अपने अपना विकास करके भारत माता की सेवा मे सलग्न है। देश की प्रगति की दिशा में निराशा के बीच आशा की किरण मौजूद है लेकिन यह सच्चाई और ईमानदारी से ही देश को रोशन कर पाएगी।
लेखक एवं प्रस्तुति
मध्यप्रदेश आईएमए के पास्ट प्रेसीडेंट और उज्जैन स्थित आर डी गारडी मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डा.अनूप निगम