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-संपादकीय--भारत में भ्रष्टाचार, विश्व में 93 वां स्थान

-संपादकीय--भारत में भ्रष्टाचार, विश्व में 93 वां स्थान

संयुक्त राष्ट्र में शामिल सदस्य देशों की संख्या के क्रम में विश्व में कुल मिलाकर 195 देश हैं। कोई विकसित है तो कई विकासशील और अनगिनत गरीब तथा पिछड़े हुए देश। भारत क्या गरीब देशांे की संख्या में शामिल है या विकासशील देशों में। अभी तक इस विषय का खुलासा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में नहीं हो पाया है लेकिन इस बात के दांवे सरकारी पक्ष की ओर से किए जा रहे हैं कि वर्ष 2047 तक भारत विकसित हो जाएगा तथा सोने की चिढ़िया कहलाएगा। लेकिन इसी बीच ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल नामक एक विश्वव्यापी भ्रष्टाचार आंकलन कमेटी ने जो रिपोर्ट हाल ही में जारी की है उसमें कहा गया है कि भारत अभी भी भ्रष्टचारी देशों की श्रेणी में है और उसका स्थान 93वें नम्बर पर है।

जिस वक्त इस संस्था की ओर से भारत में भ्रष्टाचार को लेकर यह सार्टिफिकेट जारी किया गया उसी वक्त देश नयी करवेट बदलते हुए दांवे कर रहा था कि वर्ष 2047 तक भारत पूरी तरह से विकसित हो जाएगा। अर्थात भारत विकसित तो होगा लेकिन गरीबी खत्म होगी या नहीं या फिर भ्रष्टाचार खत्म हो पाएगा या नहीं इस बात का खुलासा नहीं किया गया। इस रिपोर्ट को जारी करने के साथ ही यह भी कहा गया कि वर्ष 2022 में भारत में भ्रष्टाचार कम था लेकिन वर्ष 2023 में इसमें वृद्धि हो गई।

हम इस विषय को वर्तमान संदर्भ में इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार भ्रष्टाचार को समाप्त करने की दिशा में उन सभी उपायों पर काम करने का प्रयास करती दिखाई पड़ रही है जिनसे यह देश 75 साल से ही नहीं बल्कि कई शताब्दियों से जूझता चला आ रहा है। आजादी से पहले देश में अंग्रेजों का शासन था और उन्होंने चापलूसी और जी-हुजूरी के माध्यम से देशवासियों में भ्रष्टाचार के बीज को पौधा बनाने का काम किया। अंग्रेजों से पहले या अंग्रेजों के समय ही देशी राजे-रजवाड़ों के शासनकाल में भी भ्रष्टाचार इसी रूप में था। गरीबी तब भी थी और भ्रष्टाचार के कारण ही कई देशी राजे-रजवाड़े शासन करते रहे। धन और प्रभाव को लेकर उस वक्त भी विश्वासघात किए जाते थे। देश को आजादी मिलने के बाद यही परम्परा जारी रही। परिणाम यह निकला कि भ्रष्टाचार राजनीति से होते हुए सरकारी तंत्र, व्यवसाय और उद्योग जगत में भी फैला तथा बाद में जमाखोरी, मुनाफाखोरी के रूप में परिवर्तित होते हुए निचले स्तर पर भी व्याप्त हो गया। देश में जरा सा संकट आता नहीं है कि तुरंत जमाखोरी होने के साथ ही मूल कीमत वाली वस्तुओं के दाम भी बढ़ा दिये जाते हैं या बढ़ जाते हैं। पानी की एक बोतल पर एक या दो रूपये की कमाई की जा सकती है लेकिन जब यही पानी की बोतल 20 से 25 और हवाई जहाज में 100 रूपये में बिकती है तो सवाल यही उठता है कि क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है..? हवाई जहाजों में जब अचानक या आपात् स्थिति में तीन हजार का टिकट 20 से 30 हजार में मिलने लगता है तो क्यों नहीं उसे भ्रष्टाचार की श्रेणी में शामिल किया जाता है...?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्त राजनीति और सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए भ्रष्टाचारियों के पर कतर रहे हैं तो वही राजनेता उनकी आलोचना कर रहे हैं जिनके नाम और काम के साथ भ्रष्टाचार हमेशा जुड़ा रहा है। लेकिन वास्तविकता यह है कि जिस देश में भी कई दलों वाली राजनीतिक पार्टियां और लोकतांत्रिक व्यवस्था होगी वहां भ्रष्टाचार को दूर करना या खत्म करना अपने आप में एक चुनौती है। इस चुनौती को आने वाले समय में लोकतांत्रिक व्यवस्था के बीच ही सुधार कर पटरी पर लाना होगा और तभी यह देश संपन्न तथा विकसित राष्ट्रों में शामिल माना जाएगा। भले ही देश में राजराज लाने का प्रण कुछ पार्टियां या व्यक्ति करें लेकिन रामराज की वास्तविकता तो यही है कि जब किसी देश में भ्रष्टाचार और गरीबी न हो तथा हर वर्ग खुश रहे तो वह अपने आप में ही रामराज की व्याख्या पा जाता है। लोकतांत्रिक भारत में हिंदू राष्ट्र या रामराज की बात से हटकर अगर भ्रष्टाचार और गरीबी को खत्म कर दिया गया तो वह अपने आप में ही रामराज होगा अलग से नाम देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।(updated on 1st february 2024)

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