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-हमें कब नक्सलियों से मिलेगा छुटकारा...?40 साल से आतंक का दंश झेल रहे लोगों का दर्द उभरा राष्ट्रपति के समक्ष
नयी दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आज एक अलग दृश्य था। मध्यप्रदेश से लगे छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में रहने वाले कई आदिवासी जब आज देश की पहली नागरिक श्रीमती द्रोपदी मुर्मू से मिले तो उनका एक ही सवाल था ’’हमें नक्सलियों से कब छुटकारा मिलेगा’’?। हम 40 साल से भी अधिक समय से आतंक के साये में रहते हुए अपना जीवन काट रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर इन लोगों को आज राष्ट्रपति भवन ले जाया गया था जहां इन आदिवासियों के चेहरे पर पीड़ा और आतंक के भाव थे। राष्ट्रपति से मिलते वक्त सभी का एक ही सवाल था कि हमें और इस राज्य को नक्सली आतंकवाद से कब छुटकारा मिलेगा। राष्ट्रपति ने इन सभी आदिवासियों के साथ आत्मीयता से मिलते हुए उन्हें ढांढस बंधाया और कहा सरकार बस्तर में शांति और विकास के लिए हर संभव कदम उठाएगी। उन्होंने बस्तर के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया और वादा किया कि जल्द ही राहत मिलेगी।

नक्सल पीड़ितों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल 70 लोगों के लिए आज का दिन बेहद खास था। उनके चेहरों पर वर्षों की पीड़ा के निशान थे, लेकिन उनकी आंखों में उम्मीद की किरण भी थी। पीड़ितों ने राष्ट्रपति को बताया कि किस तरह माओवादी हमलों ने उनके जीवन को तबाह कर दिया है। प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को बताया कि पिछले चार दशकों से बस्तर के लोग नक्सली आतंक का दंश झेल रहे हैं। इन हमलों के कारण हजारों लोगों की जान चली गई है और सैकड़ों लोग विकलांग हो गए हैं। बारूदी सुरंगों और बम विस्फोटों ने न केवल शारीरिक नुकसान पहुंचाया है, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी तोड़ दिया है। प्रतिनिधियों ने बताया कि किस तरह नक्सलियों ने उनके घर, जमीन और संस्कृति को नष्ट कर दिया है। पिछले 25 वर्षों में 8,000 से अधिक लोग नक्सली हिंसा के शिकार हुए हैं।
(updated on 21st september 2024)
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