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चेतावनी भारी पड़ी , शुरू किया सुधार -वैश्विक संस्थानों में सुधार की आवश्यकता पर ध्यान दे यूएन--मोदी
अब तक संयुक्त राष्ट्र के सभागार में जितनी भी बैठकें और अंतराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ करते थे उनमें सभी देश समय-समय पर अपनी बात तो कहते थे लेकिन उन्हें लिखित में शामिल करने की परम्परा नहीं थी। भारतीय समयानुसार बीती रात और अमेरिकी समयानुसार दिन के वक्त जब संयुक्त राष्ट्र में मोदी पहुंचे तो उन्होंने विनम्र शब्दों में मगर प्रभावी तरीके से संयुक्त राष्ट्र की चली आ रही परिपाटी की आलोचना की और कहा कि जो प्रस्ताव या सुझाव संयुक्त राष्ट्र में आते हैं उनको लिखित में दर्ज कर उन पर कदम उठाने की शुरूआत हो। मोदी के इस संबोधन के साथ ही संयुक्त राष्ट्र ने इस दिशा में काम करना भी आरम्भ कर दिया।

भविष्य के शिखर सम्मेलन के विषय में श्री मोदी ने कहा कि डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर , बाधा की बजाय एक सेतु की तरह होना चाहिए। मानवता की सफलता सामूहिक शक्ति में है, युद्ध के मैदान में नहीं। बहुपक्षीय संस्थानों में सुधारों के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक संस्थानों में सुधार की आवश्यकता है क्योंकि सुधार ही इनकी प्रासंगिकता बनाये रखने की कुंजी है।

उल्लेखनीय है कि ‘पाठ-आधारित वार्ता’ से तात्पर्य किसी समझौते की ऐसी विषय वस्तु तैयार करने की प्रक्रिया से है जिसे स्वीकार करने और जिस पर हस्ताक्षर करने के लिए सभी पक्ष तैयार हों। संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने काफी समय से लंबित सुरक्षा परिषद सुधारों को लेकर ‘भविष्य के समझौते’ की भाषा को ‘‘अभूतपूर्व’’ बताया है। मोदी ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन के दस्तावेज में सुरक्षा परिषद में सुधार पर पहली बार एक विस्तृत पैराग्राफ शामिल किया जाना एक ‘‘अच्छी शुरुआत’’ है और नई दिल्ली 15 देशों के निकाय में सुधार के लिए एक निश्चित समय सीमा में ‘पाठ आधारित वार्ता’ की शुरुआत की आशा करती है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री कहा कि ‘‘मैं आपका ध्यान केवल इस तथ्य पर दिलाना चाहूंगा कि संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन के दस्तावेज में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार पर पहली बार कोई विस्तृत पैराग्राफ शामिल किया गया है।’’

इस सम्मेलन के बाद भारतीय समयानुसार मोदी भारत के लिए आज सुबह रवाना हो गए(updated on 24th septmber 24)
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