पीएम मोदी और शाह ने पुलिस कर्मियों के बलिदान का किया स्मरण////स्वतंत्रता के इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई,वंचितों को नहीं मिला श्रेय-उपराष्ट्रपति////ई-श्रम-वन स्टॉप सॉल्यूशन असंगठित श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेगा-मंडाविया///कृषिमंत्री चौहान ने शहरी भूमि अभिलेख अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का किया उद्घाटन/////स्थानीय खरीददारी को महत्व दीजिये////विधायक प्रजापति ने सिंचाई एवं नहर समीक्षा की////फर्जी-कॉल पर विधायी-कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है नागरिक-उड्डयन मंत्रालयः///पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने की भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट की वकालत/////केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंसवोंगसेमुलाकात,/////नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी संयुक्त अरब अमीरात की आधिकारिक यात्रा पर//////
Home | Latest Articles | Latest Interviews |  Past Days News  | About Us | Our Group | Contact Us
स्वतंत्रता के इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई,वंचितों को नहीं मिला श्रेय-उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि “दुर्भाग्य है कि स्वाधीनता कि लड़ाई में योगदान देने वाले महान नायकों की प्रेरक कहानियों का हमारी पाठ्यपुस्तकों में अब तक कोई उल्लेख नहीं है। यह दर्दनाक है कि स्वतंत्रता के इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई और वंचितों को इसका श्रेय नहीं दिया गया।”

उन्होंने आगे कहा कि युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम के वास्तविक नायकों के बारे में जागरूक करना हमारा परम कर्तव्य है। “यह सुखद है कि हाल के दिनों में हम पूरे देश में अपने गुमनाम नायकों या सुप्रसिद्ध नायकों का जोरदार जश्न मना रहे हैं। इतिहासकारों की अगली पीढ़ी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान ने इस पीढ़ी को प्रेरित किया।”

श्री धनखड़ ने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में स्थित राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में कहा कि “सभ्यताएँ और संस्थाएँ अपने नायकों से जीवित रहती हैं। राजा महेंद्र प्रताप सिंह स्वतंत्रता संग्राम के एक नायक थे, जिन्हें हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में जगह दी जानी चाहिए थी। उनके जैसे नायकों के बलिदान के कारण ही आज हम एक स्वतंत्र वातावरण में जी पा रहे हैं।” स्वातंत्र्य समर में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के योगदान पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि 1915 में सिंह ने काबुल में भारत की पहली आस्थायी सरकार की स्थापना की थी जो स्वतंत्रता उद्घोष करने का एक बहुत बढ़िया विचार था।(updated on 21st october 24)
------------------