संयुक्त राष्ट्र महासभा में जब बोलेंगे मोदी,सुनेगी दुनिया////-हमें कब नक्सलियों से मिलेगा छुटकारा...?40 साल से आतंक का दंश झेल रहे लोगों का दर्द उभरा राष्ट्रपति के समक्ष///-अब हिंदुस्तान से डरने लगा है पाकिस्तान-अमित शाह///कोयला मंत्रालय ने एक पेड़ माँ के नाम के तहत वृक्षारोपण अभियान चलाया///वन्यजीव आवासों के संपूर्ण विकास का 100 दिन का लक्ष्य हासिल///भारत और ब्राजील ने ऊर्जा क्षेत्र में मौजूदा सहयोग की समीक्षा की////अमर प्रीत सिंह अगले वायु सेना प्रमुख नियुक्त////सीएम की कोशिश बेहतर पर समय-सीमा जरूरी है /////Union Minister Sonowal Inaugurates ‘Swachhata Hi Sewa’ Campaign /////वैश्विक खाद्य विनियामक शिखर सम्मेलन को अनुप्रिया सिंह ने संबोधित किया////भारत सहित वैश्विक स्तर पर आपदाओं की बढ़ती संख्‍या चिंता-मिश्रा/////
Home | Latest Articles | Latest Interviews |  Past Days News  | About Us | Our Group | Contact Us
चैतन्य महाप्रभु की परंपरा मेरे लिए
चैतन्य महाप्रभु की परंपरा मेरे लिए जीवन का सहज स्वाभाविक हिस्सा-


नयी दिल्ली -मेरा जन्म तो गुजरात में हुआ है। गुजरात की पहचान ही है कि वैष्णव भाव कहीं भी जगे, गुजरात उससे जरूर जुड़ जाता है। खुद भगवान कृष्ण मथुरा में अवतरित होते हैं, लेकिन, अपनी लीलाओं को विस्तार देने के लिए वो द्वारका आते हैं। मीराबाई जैसी महान कृष्णभक्त राजस्थान में जन्म लेती हैं। लेकिन, श्रीकृष्ण से एकाकार होने वो गुजरात चली आती हैं। ऐसे कितने ही वैष्णव संत हैं, जिनका गुजरात की धरती से, द्वारिका से विशेष नाता रहा है। गुजरात के संत कवि नरसी मेहता उनकी भी जन्मभूमि भी । इसलिए, श्रीकृष्ण से संबंध, चैतन्य महाप्रभु की परंपरा, ये मेरे लिए जीवन का सहज स्वाभाविक हिस्सा है। यह सारगर्भित संबोधन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यहां दिल्ली के भारत मंडपम में आध्यात्मिक गुरु श्रील प्रभुपाद की 150वीं जयंती के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में दिया। मोदी ने आध्यात्मिक गुरु के सम्मान में एक स्मारक टिकट और एक सिक्का भी जारी किया।

उन्होंने कहा कि सैकड़ों साल पुराने भव्य राम मंदिर का सपना पूरा हुआ। अब युवा स्पिरिचुएलिटी और स्टार्टअप को एकसाथ देखने लगे हैं। उन्होंने कहा कि आज हम सब अपने जीवन में ईश्वर के प्रेम को, कृष्ण लीलाओं को, और भक्ति के तत्व को इतनी सहजता से समझते हैं। इस युग में इसके पीछे चैतन्य महाप्रभु की कृपा की बहुत बड़ी भूमिका है। चैतन्य महाप्रभु, कृष्ण प्रेम के प्रतिमान थे। उन्होंने आध्यात्म और साधना को जन साधारण के लिए सुलभ बना दिया, सरल बना दिया। उन्होंने हमें बताया कि ईश्वर की प्राप्ति केवल सन्यास से ही नहीं, उल्लास से भी की जा सकती है। और मैं अपना अनुभव बताता हूं। मैं इस परंपराओं में पला बढ़ा इंसान हूं। मेरे जीवन के जो अलग-अलग पड़ाव हैं उसमें एक पड़ाव कुछ और ही था। मैं उस माहौल में बैठता था, बीच में रहता था, भजन-कीर्तन चलते थे में कोने में बैठा रहता था, सुनता था, मन भर के जी भरकर के उस पल को जीता था लेकिन जुड़ता नहीं था, बैठा रहता था। पता नहीं एक बार मेरे मन को काफी विचार चले। मैंने सोचा ये दूरी किस चीज की है। वो क्या है जो मुझे रोक रहा है। जीता तो हूं जुड़ता नहीं हूं। और उसके बाद जब मैं भजन कीर्तन में बैठने लगा तो खुद भी ताली बजाना, जुड़ जाना और मैं देखता चला गया कि मैं उसमें रम गया था। मैंने चैतन्य प्रभु की इस परंपरा में जो सामर्थ्य है उसका साक्षात्कार किया हुआ है। और अभी जब आप कर रहे थे तो मैं ताली बजाना शुरू हो गया। तो वहां लोगों को लग रहा है पीएम ताली बजा रहा है। पीएम ताली नहीं बजा रहा था, प्रभु भक्त ताली बजा रहा था।

पीएम मोदी ने कहा कि चैतन्य महाप्रभु ने हमें वो दिखाया कि श्रीकृष्ण की लीलाओं को, उनके जीवन को उत्सव के रूप में अपने जीवन में उतारकर कैसे सुखी हुआ जा सकता है। कैसे संकीर्तन, भजन, गीत और नृत्य से आध्यात्म के शीर्ष पर पहुंचा जा सकता है, आज कितने ही साधक ये प्रत्यक्ष अनुभव कर रहे हैं। और जिसको अनुभव का आनंद होता है मुझे उसका साक्षात्कार हुआ है। चौतन्य महाप्रभु ने हमें श्रीकृष्ण की लीलाओं का लालित्य भी समझाया, और जीवन के लक्ष्य को जानने के लिए उसका महत्व भी हमें बताया। इसीलिए, भक्तों में आज जैसी आस्था भागवत जैसे ग्रन्थों के प्रति है, वैसा ही प्रेम, चौतन्य चरितामृत और भक्तमाल के लिए भी है।
(updated on 8th feb 24)