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-संपादकीय---यादव जी! सड़कों को लील रहे हैं वाहन




उज्जैन विक्रमोत्सव व्यापार मेला 2024 को लेकर तीन दिन पहले मध्यप्रदेश मंत्रि परिषद की बैठक हुई जिसमें मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने मेले के दौरान गैर परिवहन और हल्के वाहनों पर मोटरयान कर की दर में 50 प्रतिशत छूट देने का निर्णय लिया। निश्चित रूप से कुंभ महोत्सव के दौरान बड़ी संख्या में ये वाहन बिक्री होंगे और उज्जैन की सड़कों पर उतरने के साथ ही प्रदेश भर में संचालित भी हो सकेंगे। मंत्रि परिषद् के इस निर्णय से राज्य सरकार के खजाने में भी वृद्धि होगी। कुछ हद तक यह भी कहा जा सकता है कि इस रियायत से उन लोगों को भी राहत मिलेगी जो अपने जीवन में वाहन खरीदना चाहते हैं लेकिन इसके साथ ही इस विषय से जुड़े अन्य विषयों की तरफ भी मुख्यमंत्री सहित मंत्रि परिषद् को निर्णय लेने की जरूरत है जो कि सिर्फ उज्जैन के लिए ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के संदर्भ में आवश्यक हैं।

यह सर्वज्ञात है कि दो पहिया से लेकर चार पहिया वाहनों की बिक्री प्रदेश भर में लगातार होती है और प्रतिदिन ही सैकड़ों की संख्या में नये वाहन मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों और शहरों की सड़कों पर उतरते हैं। नये वाहनों का आना भी जरूरी है क्योंकि इससे आटो मोबाइल इंडस्ट्रीज को भी तो प्रोत्साहन दिया जाना जरूरी है। आखिर मध्यप्रदेश को औद्योगिक स्तर पर भी पूरी तरह से स्थापित कर इसके माध्यम से सैकड़ों बेरोजगारों को रोजगार भी दिलवाना है। इस तरह की रियायत का हम स्वागत करते हैं लेकिन इसके साथ ही मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद् का वाहनों से जुड़े विषयों पर भी ध्यान दिलाना चाहेंगे कि राज्य सरकार प्रदेश की सड़कों, सड़कों पर चलने वाले वाहनों, नियमों, पार्किंग, नियमों जैसे विषयों को अपने विचार और निर्णय का मुख्य माध्यम बनाये। हम तो यह भी चाहेंगे कि मंत्रिपरिषद् हर महीने प्रदेश में मौजूदा वाहनों तथा उससे जुड़े विषयों पर प्रभावकारी निर्णय लें।

यह सत्य है कि जिस तरह से प्रदेश की सड़कों पर वाहन उतर रहे हैं उस स्तर पर अंतर प्रादेशिक सड़क मार्ग की सड़कें नहीं बन पा रही हैं। यह भी सर्वज्ञात है कि हर जिले में और जिले के अंदर की सड़कों के हालात और दुरूस्तीकरण के नाम पर कभी प्रभावकारी निर्णय नहीं लिये गए। किसी भी जिले के अंदर की सड़कों पर बेतरतीव तरह से खड़े वाहन मिल जाएंगे। व्यापारिक प्रतिष्ठान तथा दुकानदार अपने वाहनों को अपने कारोबार स्थल के सामने ही खड़ा करना चाहते हैं। इसी प्रकार अपनी बिक्री को लेकर भी वो ग्राहकों के वाहनों को अपने कारोबार स्थल पर ही खड़ा करवाने के पक्षधर रहे हैं। जितने भी नगर निगम और स्वायत्तशासी संस्थाएं हैं पार्किंग स्थल को लेकर बहस और बातचीत कर संजीदा तो होती हैं लेकिन प्रभावकारी निर्णय नहीं ले पातीं। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर सहित कई शहरों में स्थानीय निकायों ने पार्किंग स्थल करोड़ों की लागत से बनवाये लेकिन अधिकांशतः वीरान पड़े हैं। अर्थात वाहन स्वामी इन पार्किंग स्थलों में वाहन ले जाकर खड़े करें इस दिशा में हमारा तंत्र वाहन चालकों को अनुशासन का पाठ पढ़ाने में असफल रहा है। सीट बैल्ट और हैल्मेट की अनिवार्यता जैसे विषयों कोई ठोस कदम उठाने के बावजूद क्रियांवित नहीं हो पाये। यातायात पुलिस को मात्र दंड देने का अधिकार दिया गया लेकिन यह भी पूरी से असफल है। जिन सड़कों का निर्माण वाहनों के चलने के लिए किया गया उन पर प्रतिदिन और साप्ताहिक बाजार लगातार लग रहे हैं जिसके कारण सड़कों पर वाहन खड़े कर खरीददारी इत्यादि होती है और जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासन तंत्र इस मंजर को देखते रहते हैं।

मुख्यमंत्रीजी! आप एक संजीदा जनप्रतिनिधि हैं। आपके माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्यप्रदेश के हर शहर को चमकाने, व्यवस्थित करने तथा स्मार्ट सिटी बनाने का अभियान छेड़े हैं। जनता भी चाहती है कि उनका शहर स्वच्छ और प्रदूषण तथा यातायात जाम-मुक्त हो लेकिन इसके लिए आपको कई मोर्चों पर जूझना पड़ेगा। सबसे पहले तो राजनेताओं और उनके कार्यकर्ताओं को अनुशासित करना होगा। आम वाहन चालकों को भी अनुशासन का पाठ ’’प्यार और चाबुक’’ से सिखाना पड़ेगा। पार्किंग स्थलों की उपलब्धता को अनिवार्य श्रेणी में लाना होगा। सीट बेल्ट और हैल्मेट की अनिवार्यता तो कड़ी कार्रवाई से ही संभव हैं। इसी प्रकार सड़कों पर निर्धारित गति तथा भारी वाहनों के वजन जैसे विषयों पर भी कड़ी कार्रवाई करनी होगी। हम तो बस यही कहेंगे कि वाहनों की बिक्री को प्रोत्साहन के साथ इन विषयों पर भी आपकी सरकार को कड़े,प्रभावकारी तथा निर्णायक निर्णय लेने की जरूरत प्रदेश हित में है।

(updated on 19th feb 24)