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Today's Special in Detailed
शारदीय नवरात्र-प्रथम दिवस
सनातन धर्म में आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमीं तिथि तक शारदीय नवरात्र मनाया जाएगा। इस दौरान श्रद्धाभाव से जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-भक्ति होगी। मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 12 अक्टूबर को दशहरा है।

अश्विन माह की अमावस्या पर पितृ पक्ष के समापन के बाद मां दुर्गा को समर्पित शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है। प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में घटस्थापना और मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चन की जाती है। साथ ही माता रानी को सोलह श्रृंगार और प्रिय फूल समेत आदि चीजें अर्पित की जाती है। मान्यता है कि मां दुर्गा को इन चीजों को चढ़ाने से घर में सुख-शांति का वास होता है। साथ ही जातक को मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।

पहला दिन
शारदीय नवरात्र का प्रथम दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है। मान्यता है कि मां शैलपुत्री को गुड़हल का लाल फूल और सफेद कनेर का फूल प्रिय हैं। इन्हें पूजा में शामिल करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

नवरात्र को आद्याशक्ति की आराधना का सर्वश्रेष्ठ काल माना गया है। नवरात्र वृद्धि आश्विन शुक्ला प्रतिपदा को अशुभ नक्षत्र चित्रा और वैधृति योग का अभाव एवं शुक्ला तृतीया तिथि की वृद्धि होने से नवरात्र विशेष शुभ एवं राष्ट्र के शत्रुओं का पराभवकारी सिद्ध होगा। घटस्थापन मंदिरों और शक्तिपीठों में सुबह 4.09 से 5.07 तक विशेष शुभ रहेगा। भगवती की पूजा के लिए बनाए गए विशेष पंडालों और घरों में सुबह 9.40 से 11.50 तक वृश्चिक लग्न में सामान्य शुभ रहेगा। देवगुरु बृहस्पति की संपूर्ण शुभदृष्टि होने के कारण लग्न बलवती समझी जाएगी।

स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
(updatged on 2nd october 2024)
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