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21वीं सदी में 20वीं सदी के दृष्टिकोण
21वीं सदी में 20वीं सदी के दृष्टिकोण से मुकाबला संभव नहीं


नयी दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि 21वीं सदी की चुनौतियों का मुक़ाबला 20वीं सदी की दृष्टि से नहीं, बल्कि नई सोच और सुधारों से ही संभव है। आज नई दिल्ली में राष्ट्रमंडल देशों के महान्यायवादियों और सॉलिसिटर जनरल के सम्मेलन में उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों में न्याय प्रणाली को आधुनिक बनाना और न्याय दिलाना तथा हमारी व्यवस्था को अधिक लचीला और स्वीकार्य बनाना शामिल हैं। श्री मोदी ने न्यायिक व्यवस्था को लोकोन्मुखी बनाने की अपील की और कहा कि न्याय दिलाने के लिए जरुरी है कि न्याय पाना सरल हो।

श्री मोदी ने कहा कि भारत में औपनिवेशिक काल की कानून व्यवस्था चल रही थी लेकिन पिछले कुछ वर्षों में देश की कानून व्यवस्था में कई सुधार किए गए हैं और सौ वर्ष से पुराने फौजदारी कानूनों को बदला गया है। उन्होंने कहा कि भारत ने हज़ारों अप्रासंगिक कानूनों से मुक्ति पा ली है। प्रधानमंत्री ने कहा कि क्रिप्टो करंसी और साइबर ख़तरों से नई चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं। उन्होंने कहा कि अब अपराध की प्रकृति और इसका दायरा बहुत बढ़ गया है और अपराधियों ने कई देशों में अपने नेटवर्क बना लिए हैं। ये अपराधी धन जुटाने और अपनी कारगुजारियों को अंजाम देने के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कई बार, किसी एक देश में न्याय पाने के लिए दूसरे देश के साथ मिलकर काम करना जरुरी हो जाता है। उन्होंने कहा कि दूसरे देश के साथ मिलकर काम करने से एकरूपता कायम होती है और जल्दी न्याय दिलाना संभव होता है। श्री मोदी ने कहा कि अफ्रीकी संघ के साथ भारत के संबंध बहुत ख़ास हैं और भारत की अध्यक्षता में अफ्रीकी संघ को जी-20 की सदस्यता मिलना देश के लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि यह अफ्रीकी जनता की आकांक्षाओं की पूर्ति में दीर्घकालिक महत्व का कदम साबित होगा। इस अवसर पर विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी मौजूद थे।
(UPDATED ON 3RD FEB 24)