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-संपादकीय -राष्ट्रीय पुरस्कारों को और अधिक स्वीकार्यता की जरूरत


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत रत्न के लिए आज तीन और नयी हस्तियों के नामों की घोषणा की जिनमें कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन, पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह तथा पी.वी.नरसिंहाराव शामिल हैं। इन तीन नामों की घोषणा के साथ ही विपक्ष के कई नेताओं ने कहा कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा अपनी और अपने सहयोगियों की जीत चाहती है और इसीलिए वह लगातार उन लोगों को भारत रत्न के लिए चयनित कर रही है जिनके माध्यम से मतदाताओं को प्रभावित किया जा सके।

राष्ट्रीय पुरस्कार निश्चित रूप से उन हस्तियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को लेकर दिये जाते हैं जिन्होंने अपने जीवनकाल में कुछ न कुछ अद्भुत किया हो तथा जिनके माध्यम से लाखों लोगों कोन प्रेरणा भी मिल सके। निश्चित रूप से जब प्रधानमंत्री ने इन तीन नामों की घोषणा की तो हर वह वर्ग इस निर्णय की सराहना कर रहा है जो कि इन हस्तियों से प्रेरणा लेता है अथवा अपना सम्मान उनके प्रति व्यक्त करता है। चूंकि पीवी नरसिंह राव तथा चरण सिंह एक राजनेता रहे हैं तो विपक्षी राजनीतिज्ञ अपने तरह से इन नामों पर अपनी राय दे रहे हैं लेकिन देश में कृषि क्रांति लाने वाले स्वामीनाथन को लेकर तो देश एकमत है और इस निर्णय की सराहना करता है। परन्तु इस निर्णय के साथ ही हम प्रधानमंत्री से यह आग्रह करना चाहेंगे कि हमारे देश में कई ऐसे शिक्षाविद्, अर्थशास़्त्री, आविष्कारक, खेल हस्तियां, पत्रकार, वैज्ञानिक तथा व्यक्ति हैं जो लगातार अपने-अपने क्षेत्र में अपने कार्य करते चले जा रहे हैं लेकिन वो कहीं से भी लाइमलाइट में नहीं आ पाते हैं। इसका कारण यही है कि इस तरह के व्यक्ति., व्यक्ति न होकर व्यक्तित्व होते हैं और वे पुरस्कारों की कभी आशा नहीं करते हैं। वो सिर्फ अपना कर्म करते हैं और अगर देश उनके योगदान को खोजता, परखता तथा महत्व देकर सम्मानित करता है तो निश्चित रूप से पुरस्कार प्राप्त करने वाले का सम्मान बढ़ता है लेकिन कहीं ज्यादा वो हजारों और लाखों लोग प्रोत्साहित होते हैं जो अपने जीवन में कुछ कर दिखाना चाहते हैं तथा राष्ट्र के लिए समर्पित होते हैं।

हालांकि केंद्र सरकार समय-समय पर पद्म विभूषण, पद्मश्री सहित कई अवार्ड समय-समय पर प्रदान करती है और जिनका सम्मान होता है उसको लेकर कोई संशय सरकार की भावना पर नहीं होता लेकिन इसके बावजूद क्या ऐसा नहीं हो सकता कि देश में प्रमुख हस्तियों को पहले खोजा जाए तथा उन्हें अवार्ड के लिए चयनित करते वक्त कोई कमेटी या व्यक्तियों की मंजूरी की बजाय राष्ट्र के नागरिकों से भी राय ली जाए..? हम इस प्रशन को इसलिए उठा रहे हैं जिससे कि अवार्ड प्राप्त करने वालों को समाज के हर वर्ग और हर नागरिक की स्वीकार्यता मिल सके। उदाहरण के तौर पर अगर एक धार्मिक व्यक्ति को कोई अवार्ड दिया जाए तो संदेश उस धर्म के अलावा दूसरे धर्मों को भी जाना चाहिए कि उनके धर्म की हस्ती को भी सम्बंधित सम्मान स्वरूप अवार्ड दिया जा सकता है। अंग्रेजों और शाही साम्राज्य के समय भी कई हस्तियों को सम्मानित किया जाता था जिनमें खान बहादुर, राय साहब, रायजादा, रायबहादुर जैसी पद्वियां और सम्मान दिये जाते थे लेकिन वो सम्मान हमेशा आम जनता में पूर्ण रूप से स्वीकार्य न होकर सिर्फ व्यक्तिगत निष्ठा के अवार्ड बन गए थे।

’’भारत रत्न’’ जैसा अवार्ड हमारे देश का सर्वोच्च अवार्ड है और हम सभी को इस अवार्ड पर गर्व है लेकिन जब राजनीतिज्ञों को ये अवार्ड दिये जाते हैं तो दूसरे राजनीतिज्ञ दल कहने लगते हैं कि इस अवार्ड को प्राप्त करने वालों में कई और भी हैं। जैसे आज ही महाराष्ट्र में राज ठाकरे ने बाला साहिब ठाकरे और उत्तरप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने काशीराम को भी भारत रत्न दिये जाने की मांग कर डाली। अर्थात कहीं न कहीं से इस प्रतिष्ठित और सम्मानित अवार्ड को लेकर कई हस्तियांें के नाम और काम देश में मौजूद हैं जिन्हें सम्मानित किया जाकर देश के लाखों लोगों को प्रोत्साहित और उनकी आकांक्षाओं को पूरा किया जा सकता है। हमारा बस निवेदन यही है कि राष्ट्रीय और प्रतिष्ठित अवार्ड देने से पहले सम्बंधित हस्ती को कौनसा अवार्ड दिया जाए जैसे विषय पर अगर देश के सर्वहारा वर्ग की राय ली जाए तो ये प्रतिष्ठित अवार्ड और अधिक प्रतिष्ठित होंगे और देश का गौरव और भी अधिक बढ़ेगा। जिन हस्तियों को भारत रत्न का सम्मान मिला है उसके वो हकदार थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दिशा में विशेष रूचि लेकर हर क्षेत्र में लोगों को सम्मान दे रहे हैं इसके लिए वो बधाई के पात्र हैं।

(UPDATED ON 9TH FEBRUARY 2024)