विश्व में भारतीय गणतंत्र एक सबसे बड़ा गणतंत्र है और इस गणतंत्र का उदाहरण विश्व का हर देश देता है। इस देश के गणतंत्र की स्थापना में महात्मा गांधी से लेकर हर धर्म और हर जाति के साथ ही हर राजनीतिक दल और उनके कार्य कर्ताओं ने अपना योगदान दिया। यह गणतंत्र लगातार पुष्पित और पल्लवित हो रहा है। मैं 30 वर्ष के अधिक समय के पत्रकारिता क्षेत्र में कार्यरत हूं और पीटीआई लेकर दैनिक हिन्दुस्तान तथा दैनिक जागरण सहित कई प्रतिष्ठित मीडिया घरानों में कनिष्ठ से लेकर वरिष्ठ पदों तक कार्य किया है। अपने अनुभव के आधार पर मेरे मस्तिष्क में एक लंबे समय से प्रश्न कौंध रहा था कि गणतंत्र के मंदिर याने संसद के दोनों सदनों लोकसभा तथा राज्यसभा में विराजमान देश के 125 करोड़ की जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले निर्वाचित तथा मनोनीत सांसदों से संबंधित जानकारी, उनकी कार्यप्रणाली और उनके सकारात्मक पहलू को जनता के बीच तक ले जाने और पहुंचाने का क्या कोई तरीका है? नागरिकों और राजनीतिज्ञों के बीच पारदर्शिता तथा संवाद कायम करने का कोई रास्ता है? मेरा यह भी मानना है कि ईश्वर इंसान को प्रत्यक्ष तौर पर कुछ नहीं देता है-बस एक भाग्य देता है लेकिन ईश्वर अपने प्रतिनिधि के रूप में सांसदों को भेजता है जो उनकी गरीबी, उनके विकास, उनकी शिक्षा, उनके रोजगार तथा जीवन को संचालित करने वाले भगवान के दूत होते हैं-इसीलिए तो भारत में संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है और इस मंदिर को संचालित करने वाले उनके ही प्रतिनिधि हैं।
आज से दो दशक पहले तक विभिन्न समाचारपत्रों में यह रिवायत/परम्परा थी कि जब भी संसद की कार्रवाई आरंभ होती थी तब देश के समस्त समाचारपत्र सभी सांसदों के प्रश्नोत्तर, शून्यकाल, ध्यानाकर्षण और संसद में उठाये जाने वाले प्रश्नों का प्रकाशन सहर्ष करते थे। हर संसदीय क्षेत्र में वहां के स्थानीय समाचारपत्र भी सांसदों के संसद से संबंधित समाचारों का प्रकाशन करते थे। लेकिन वक्त के साथ पिछले दो दशक में यह बात भी सामने आई कि मीडिया के विकास के साथ ही हमारे माननीय सांसदों से संबंधित समाचारों और घटनाओं का प्रकाशन अब राष्ट्रीय और स्थानीय मीडिया में प्रमुखता से नहीं हो रहा है। उनसे संबंधित समाचार कहीं नहीं पढ़ने को मिलते हैं। सांसदों के निर्वाचन क्षेत्र में उनके मतदाताओं को यह पता ही नहीं चल पाता है कि उनके सांसदों ने आखिर दिल्ली, संसद और राष्ट्रीय स्तर पर अपना क्या योगदान दिया है और उनसे संबंधित समस्यायें क्या हैं? इतना ही नहीं एक सांसद दूसरे सांसद के कार्यों तथा सकारात्मक काम को ना तो पढ़ पाता है और ना ही देख पाता है। मीडिया जगत में सिर्फ चंद प्रमुख सांसदों का ही जिक्र होता है। मतदाताओं तथा देश की जनता में सांसदों की छवि को नकारात्मक तरीके से देखा जाता है जबकि हर सांसद इस धरती पर लोकतंत्र के मंदिर में ईश्वर का प्रतिनिधि है।
बस इसी प्रश्न को आधार बनाकर मैंने सांसदों के कार्यों, सांसदों की गतिविधियों, सांसदों के संसद में रहने के दौरान उनसे संबंधित जानकारी को देश के समक्ष रखने, उनके मतदाताओं के समक्ष प्रस्तुत करने और पहुंचाने तथा उनसे संबंधित मसलों को रखने का निर्णय किया और फिर शुरू हुआ इस समाचार पोर्टल को तैयार करने का सिलसिला। अभी मैंने इस पोर्टल को आंशिक तौर पर तैयार किया है। वक्त के साथ यह लगातार विकसित होता रहेगा। मैं देश की जनता और सभी सांसदों से आग्रह करता हॅू कि गणतंत्र को मजबूत करने की दिशा में इस न्यूज पोर्टल के विस्तार के क्रम में सहयोग प्रदान करें। सभी सांसद अपने दैनिक कार्य को इस न्यूज पोर्टल पर भेज सकते हैं और यह सामग्री उनके पेज पर लगातार बनी रहेगी। सभी सांसद अपने मतदाताओं को भी कह सकते हैं कि उनसे (संबंधित सांसद) संबंधित कार्य और जानकारी तथा समाचार देश के किसी भी हिस्से से सिर्फ इंटरनेट के माध्यम से देख और पढ़ सकते हैं।
मैं देश के सभी सांसदों और नागरिकों सेे सहयोग की प्रतीक्षा कर रहा हॅू। आप मेरे सतत संपर्क में रहें और गणतंत्र को मजबूत करने की दिशा में सहयोग दें.,यही आपसे आग्रह है।
भवदीय
शेखर कपूर
संपादक
Email shekhar.sansad@gmail.com
Mob 099909 34458
Add 15/616,Vasundhara,Delhi NCR, Ghaziabad.
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