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मध्यप्रदेश फार्मास्युटिकल और चिकित्सा उपकरण निर्माण के लिए भविष्य का केंद्र
नयी दिल्ली-रीजनल इंडस्ट्रीज कॉन्क्लेव में अपॉर्चुनिटीज इन फार्मास्यूटिकल एंड मेडिकल डिवाइसेज इन एम.पी. विषय पर भोपाल, मध्यप्रदेश में शनिवार को हुए सत्र में मध्यप्रदेश में फार्मास्यूटिकल एंड मेडिकल डिवाइसेज निर्माण क्षेत्र में मध्यप्रदेश में बेहतर अवसर पर विस्तृत चर्चा हुई। सत्र में अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान, सचिव स्वास्थ्य सुदाम खाड़े, सीओओ पी.डी. हिंदुजा हॉस्पिटल्स, जॉय चक्रवर्ती, मैनेजिंग डायरेक्टर एंड सीइओ आईपीसीए लैबोरेट्रीज लिमिटेड अजीत कुमार जैन, ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर श्रीजी पॉलिमर्स मेडिकल डिवाइसेज प्राइवेट लिमिटेड विष्णु जाजू, सीईओ रिनी लाइफ साइंसेज श्री अक्षत कोर्डिया, एनक्यूब एथिकल्स के विक्रांत पराशर तथा बड़ी संख्या में निवेशक उपस्थित थे।

सत्र में स्वास्थ्य क्षेत्र के बड़े उद्योगपतियों ने प्रदेश में इस व्यवसाय के लिए उपयुक्त परिस्थितियों पर प्रकाश डाला और कहा कि मध्यप्रदेश फार्मास्युटिकल और चिकित्सा उपकरण निर्माण क्षेत्र में नए कीर्तिमान गढ़ रहा है। उन्नत प्रौद्योगिकी और सरल निवेश नीति के साथ म.प्र. इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में अपनी वैश्विक पहचान बना रहा है।

सत्र में बताया गया कि वैश्विक फार्मास्युटिकल बाजार में भारत का प्रभुत्व निर्विवाद है और इस परिदृश्य में मध्यप्रदेश अपने मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र के साथ खड़ा है। राज्य में 270 से अधिक फार्मास्युटिकल इकाइयों का नेटवर्क है, जिसमें 39 एपीआई/बल्क ड्रग विनिर्माण इकाइयां शामिल हैं, जिसमें 50 से अधिक इकाइयां डब्ल्यूएचओ-जीएमपी मानकों का पालन करती हैं। ये प्रतिष्ठान न केवल घरेलू बाजार की पूर्ति कर रहे हैं, बल्कि दुनिया भर के 160 से अधिक देशों में अपने उत्पादों का निर्यात भी कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2022 में राज्य के निर्यात में इस क्षेत्र का योगदान बढ़कर 20.5ः हो गया, जो आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में अत्यंत सहायक है। प्रदेश की फार्मास्युटिकल शक्ति फार्मा पार्कों के विकास से और भी बढ़ गई है। ये पार्क नवाचार के लिए इन्क्यूबेटर के रूप में काम करेंगे। ये अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे और अनुसंधान विकास के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करेंगे। इसके अलावा सन फार्मा, ल्यूपिन, ग्लेनमार्क, सिप्ला, माइलान, डाबर, अरिस्टो, आईपीसीए जैसी दिग्गज ड्रग कंपनियां राज्य में अपना परिचालन शुरू कर रही हैं। मध्यप्रदेश वैश्विक मंच में एक फार्मास्युटिकल पावर हाउस के रूप में खुद को मजबूत कर रहा है। वर्ष 2030 तक भारत के फार्मा उत्पादों का लगभग 50 प्रतिशत मध्यप्रदेश से निर्यात करने की कार्ययोजना बनाई गई है।

सत्र में बताया गया कि फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन में मध्यप्रदेश का उभरना नवाचार, निवेश और समावेशी विकास के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। एक अनुकूल इकोसिस्टम, दूरदर्शी और सरल नीतियों और रणनीतिक पहल के साथ मध्यप्रदेश भारत के औद्योगिक आख्यान में नया अध्याय लिखने के लिए तैयार है, जो निवेशकों और हितधारकों को एक स्वस्थ और अधिक समृद्ध भविष्य के लिए प्रेरित करेगा।
(updated on 2nd march 2024)