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-संपादकीय--वर्ष 2047 तक क्या देश विकसित हो पाएगा?


-संपादकीय--वर्ष 2047 तक क्या देश विकसित हो पाएगा?

पिछले दो साल के दौरान के घटनाक्रम को अगर देखा जाए तो आंकड़े बताते हैं कि हमारे देश में ’’धन’’ अर्थात ’’रूपयों’’की कहीं से कोई कमी नहीं है। सरकार के पास भी ’’अथाह’’ धन है और हमारे देश की एक बड़ी जनसंख्या के पास भी। कोरोनाकाल के दौरान सरकार ने जरूरतमंदों और गरीबों के लिए राशन निःशुल्क कर दिया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार करीब 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त के राशन देने की जो शुरूआत हुई वह आज भी जारी है। दूसरी ओर अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर के निर्माण के साथ ही करोड़ों रूपये के गहने, वस्त्र और अन्य सामान रामलला के दरबार में दानदाताओं ने दान कर दिये। केंद्र और राज्य सरकार ने कितने रूपये खर्च किए इसकी जानकारी नहीं है। इसके अलावा नगदी में भी करोड़ों से कम नहीं., की धनराशि भगवान को चढ़ावे में मिल गई। बीते कई सालों में भी विभिन्न धार्मिक संगठनों और व्यक्तियों ने श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए परोक्ष और अपरोक्ष रूप से एक बड़ी धनराशि दान में दी। यह तो रही ’’धर्म और दान’’ की बात लेकिन दूसरी ओर राजनेताओं, टैक्स चोरों तथा भ्रष्टाचार एवं कालाबाजारी के माध्यम से कालाधन कमाने वालों के यहां भी जब बीते दो सालों में लगातार छापे पड़ते रहे और करोड़ों रूपये मिलने के समाचार इलेक्ट्रानिक तथा प्रिंट मीडिया के माध्यम से जनता तक पहुंचे तो यह सवाल लाजिमी गहन चिंतन तथा विचार-विमर्श का हो जाता है कि क्या हमारा देश वास्तव में गरीब है..? क्या हमारे देश में वास्तव में गरीबी है..? यह भी चिंतन का विषय हो जाता है कि जिन दानदाताओं ने लाखों और करोड़ों रूपये परोक्ष/अपरोक्ष रूप से धर्म के लिए अर्पित कर दिये क्या उन्हें भगवान का डर था या वो बहुत ज्यादा दानवीर हैं..? दूसरी ओर सवाल यह भी मस्तिष्क में उठता है कि आखिर भ्रष्टाचारियों, कालाबाजारियों और गलत तरीके से धन कमाने की प्रवृत्ति आखिर हमारे देश में क्यों पनपी तथा मजबूत हुई..? सवाल यह भी उठता है कि एक व्यक्ति के पास एक या दो मकान होने चाहिए लेकिन वो अनगिनत तथा अरबों रूपये के मकानों अथवा दूसरी संपत्ति का मालिक कैसे बन जाता है..?

हम इस विषय को देश के आर्थिक विशेषज्ञों के समक्ष रख रहे हैं जो कि देश को वर्ष 2047 तक सोने की चिड़िया वाले देश के रूप में स्थापित करने का प्रण कर चुके हैं। हम यही विषय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष भी रख रहे हैं जिन्होंने कहा है कि वर्ष 2047 तक भारत पूर्ण रूप से विकसित हो जाएगा। लेकिन वर्ष 2047 में आज की पीढ़ी के कितने लोग जीवित होंगे या उस र्स्व्णिम 2047 को देखेंगे? उस स्वर्णिम काल में देश में भ्रष्टाचार तथा कालाबाजारी क्या पूरी तरह से खत्म हो चुकी होगी...? सवाल यह भी रहेगा कि वर्ष 2047 तक क्या देश में अपराध पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे..? उस वक्त सवाल यह भी होगा कि क्या हमारे देश में सभी विद्यार्थियों को निःशुल्क शिक्षा मिलना आरम्भ हो चुकी होगी..? सवाल यह भी उस वक्त रहेगा कि हमारे देश की चिकित्सा क्या हर उम्र के व्यक्ति को निःशुल्क रूप से मिल सकेगी..? सवाल यह भी होगा कि हर घर में कोई व्यक्ति बेरोजगार नहीं होगा..? सवाल यह भी होगा कि हर व्यक्ति को इतनी आमदनी होगी कि वह अपने जीवन को भले ही खुशहाल न बना पाये लेकिन चिंतामुक्त अवश्य बना ले?

हम इस संपादकीय के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, देश के आर्थिक विशेषज्ञों तथा देश को प्रगति की ओर ले जाने का प्रण किए व्यक्तियों को बता देना चाहते हैं कि हमारे देश में ’’धन की कमी’’ कहीं नहीं है। कमी है तो आर्थिक असमानता की। हमने कई लोगों को अथाह धन कमाने की छूट कानूनी दायरे में दे दी है। इसका परिणाम यह है कि जिसके पास धन है वह अपने धन के माध्यम से धन को और अधिक बढ़ाता जा रहा है। वह अगर डरता है तो सिर्फ भगवान से। क्योंकि उसे मालूम है कि एक दिन उसकी आयु पूरी हो जाएगी और उसकी सांसे रूक जाएगी इसलिए भगवान, अल्लाह या अपने-अपने ईश को पहले से ही खुश कर दे तथा दानवीरों की श्रेणी में शामिल होकर सरकार तथा समाज में प्रतिष्ठा अर्जित कर ले। अर्थात जो अथाह धन कमा रहा है वह सिर्फ भगवान से डर रहा है ना कि कानून से। कानून के समक्ष वह आयकर के माध्यम से एक बड़ी या छोटी धनराशि सरकार को देकर सरकार के खजाने को भरकर टैक्स पेयर्स बन रहा है लेकिन उसका मन और मस्तिष्क देश की गरीबी को दूर करने के लिए कतई नहीं है। अगर ऐसा होता तो धार्मिक स्थलों में करोड़ों रूपये का खजाना एकत्रित नहीं होता बल्कि उसकी जगह हर राज्य और राज्य के जिलों में यही दानदाता हर जरूरतमंद को रोजगार तथा मकान देने में मदद करते। लेकिन इन दानवीरों ने सिर्फ ’’धार्मिक स्थलों और सरकार’’ को ही धन देने का माध्यम ’’दान एवं टैक्स’’ के माध्यम से बनाया है। इन लोगों ने गरीबी दूरी करने एवं भारत को विकास देने की जिम्मेदारी स्वयं न लेकर सरकार पर डाल दी है। याने देश को विकसित करने, गरीबी हटाने, बेरोजगारी खत्म करने की जिम्मेदारी सरकार की है ना कि इनकी अर्थात इस देश के जिम्मेदार लोगों की। हमारा कथन यही है कि वर्ष 2047 छोड़िये बल्कि अगले पांच साल में ही हमारा देश विकसित और सोने की चिड़िया वाला देश बन सकता है बस ’’दानवीर’’ अपनी झोलियां पूरी तरह से खोल दें देश के विकास के लिए। यह देश पांच साल में ही विश्व के समक्ष ’’नम्बर वन’’ हो जाएगा।
(updated ion 2nd feb 24)
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