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संपादकीय--संपादकीय--विदेशी नेता ’’मोदी नहीं हिंदुस्तान’’ को गले लगाते हैं

-पेज चार की संपादकीय--संपादकीय--विदेशी नेता ’’मोदी नहीं हिंदुस्तान’’ को गले लगाते हैं

सकारात्मकता जीवन में हमेशा आगे की ओर ही अग्रसर करती है। कभी-कभी लगता है कि सकारात्मकता किसी काम की नहीं है लेकिन वह समय क्षण-भंगुर होता है। अर्थात कुछ क्षणों का होता है ठीक उसी प्रकार जब एक धावक दौड़ लगाने के लिए पहले झुकता है अथवा पीछे हो जाता है लेकिन जब दौड़ता है तो उसकी स्पीड भी होती है और लक्ष्य तय तथा सधा हुआ तो विजयी भी होता है। हम बिना किसी लाग-लपेट के इस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य की बात कर रहे हैं। हमारे शब्द उन्हें महिमा मंडन करने वाले नहीं हैं बल्कि सत्य को सत्य कहने की सत्यता के संदर्भ में हैं। आज श्री मोदी जब अबू धाबी पहुंचे तो संयुक्त अरब अमीरात के प्रमुख शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहन ने उनकी अगवानी करते हुए उन्हें गले लगा लिया। कुछ और भी उदाहरण हम पाठकों को दे देते हैं जिनमें विदेशी राष्ट्र प्रमुखांे में यूएसए प्रेसीडेंट जॉय बाइडेन, फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रोन तथा युनायटेड किंग्डम के पीएम ऋषि सुनक सहित कई राष्ट्र प्रमुखों ने नरेंद्र मोदी से मिलते वक्त उन्हें गले लगाया है। कुछ महीने पहले ही पापुआ न्यू गुयाना नामक देश की यात्रा पर मोदी थे और वहां के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे ने हवाई अड्डे पर मोदी की
अगवानी में उनके चरण स्पर्श किए।

ये उदाहरण देते वक्त हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि कोई भी दूसरा व्यक्ति हमें तभी गले लगाता है और स्नेह तथा अपनत्व की बौछार करता है जब वह हमसे प्रभावित हो तथा उसने हमारे जीवन और जीवन संघर्ष के बारे में सुना और पढ़ा हो तथा हमें प्रगति करते हुए देखा हो। हमने जितने भी लोगों के उदाहरण दिये ये वो अंतरराष्ट्रीय हस्तियां हैं जिनके सम्मुख पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित वो देश झुकते हैं जिन्हें अपने देश के लिए कुछ चाहिए होता है। एक उदाहरण अफगानिस्तान का भी दिया जा सकता है जहां उन कट्टरपंथियों की सरकार है जिन्होंने बंदूक के बल पर सत्ता प्राप्त की लेकिन आज वो भारत तथा मोदी के प्रति विनम्र हैं और सहायता के लिए भारत के समक्ष झुक रहे हैं।

इन बिंदुओं को अपने पाठकों के समक्ष रखते हुए हम यह बताना चाहते हैं कि विकसित देश., भारत को आज इसलिए गले लगा रहे हैं क्योंकि वो भारत को तेजी से विकसित होता देख रहे हैं। वो हमारी आर्थिक अवस्था को देख रहे हैं। वो हमारे चिकित्सा विज्ञान तथा अन्य तकनीकी को देख रहे हैं। कोरोनाकाल में विश्व के 195 देशों में से आधे से ज्यादा देशों को भारत ने कोरोना की दवाई, आर्थिक सहायता और अन्य तरह से मदद की। इसी प्रकार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार आज अथाह हो चुका है। भारत पर विदेशी लोन जो आजादी के बाद साढ़े छह दशक के दौरान लिया जाता रहा वो अब खत्म हो रहा है। इसी प्रकार आत्म रक्षा तथा आत्म स्वाभिमानी वाले देश के रूप में भारत की ख्याति विश्व में पहुंच चुकी है। हमारे वायु सैनिक अभिनंदन वर्थमान को चंद घंटों में पाकिस्तान को छोड़ना पड़ा। हमारे आठ पूर्व नौसैनिकों को भारत सरकार ने मौत की सजा माफ करवाकर कतर नामक देश से वापस स्वदेश बुला लिया है जो कि कल ही भारत पहुंचे। इसी पूर्व यूक्रेन-रूस युद्ध को चंद घटों के लिए रूकवा कर भारत ने अपने नागरिकों को वहां से निकाला जैसे विषय भारत की साख और धाक को विश्व स्तर पर जाहिर करते हैं। अर्थात विश्व बिरादरी भारत को अब आदर तथा सम्मान के साथ देखने लगी है। इसी का परिणाम है कि अंतररष्ट्रीय नेता अब भारतीय नेता मोदी, भारत के राजनीतिज्ञों तथा भारतीयों पर विश्वास करने लगे हैं।

इस संपादकीय में इस विषय को उठाते वक्त जिस सच्चाई को हम अपने पाठकों के समक्ष रख रहे हैं वह यही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान होता है उसके असली हकदार तो हमारे देश के नागरिक हैं जो अपनी सच्चाई तथा विश्वसनियता का डंका बजा रहे हैं। मोदी से मिलते वक्त उन्हें गले लगाने का मतलब यह नहीं है कि वो मोदी को गले लगा रहे हैं बल्कि वास्तविकता तो यह है कि वो हिंदुस्तान की 135 करोड़ जनता को गले लगा रहे हैं। किसी भी विकसित देश चाहे वो अमेरिका हो या कनाडा, फ्रांस हो या यूएई अगर आपके पास हिंदुस्तानी पासपोर्ट है तो इन विदेशी मुल्क में हवाई अड्डे पर उतरने के बाद हिंदुस्तानियों को संदेह की नजर से नहीं बल्कि सम्मान तथा इज्जत की नजर से देखा जाता है। अब हर भारतीय का यह फर्ज है कि हम अपनी दरियादिली का परिचय दें तथा पुरानी गल्तियों को दुरूस्त कर वर्तमान में और बेहतर बनाते हुए स्वयं को मजबूत बनाने के साथ राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों एवं जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा तथा ईमानदारी के साथ निभाएं।
(updated on 13th feb 24)
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